13 मई 2008

बिनायक सेन की रिहाई की एक और अपील:-

बिनायक सेन को गिरफ़्तार हुए आज एक वर्ष हो रहे हैं! इन एक वर्षों में विनायक की रिहाई के लिये दुनिया भर से कितनी अपीलें की गयी, कितने प्रदर्शन हुए, पर छत्तीसगढ की आदिवासी जनता से लेकर दुनिया के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों की आवाज सरकार के कानों तक नहीं पहुँची? या फिर इन लोगों की आवाजों के कोई मायने नहीं है! चाहे वो नोम्चोमस्की हों या अरूंधती राय इस बीच छत्तीसगढ के हालात बद से बद्तर हुए हैं! दमन और बढा है! यहाँ तक कि विनायक की गिरफ़्तारी, जो कि एक शिलसिले की शुरूआत थी आज भी जारी है :-
दुनिया भर से 22 नोबल पुरस्कार विजेताओं ने भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिख कर पिछले लगभग एक साल से छत्तीसगढ़ की जेलों में क़ैद मानवाधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन की रिहाई की अपील की है.उनका कहना है कि डॉक्टर बिनायक सेन को इस महीने 29 मई को अमरीका जा कर जॉनाथन मैन सम्मान लेने की इजाज़त दी जाए. उल्लेखनीय है कि बिनायक को यह सम्मान स्वास्थ्य और मानवाधिकार के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए दिया गया है.मई 2007 में अपनी गिरफ़्तारी के बाद से अब तक बिनायक सेन जेल में हैं.छत्तीसगढ़ पुलिस के मुताबिक विनायक सेन पर कथित रूप से नक्सलियों के साथ साठ-गांठ करने और उनके सहायक के रूप में काम करने का आरोप है. हालांकि बिनायक सेन पुलिस के इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज करते हुए इन्हें निराधार बताते रहे हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ता लगातार उनकी रिहाई की मांग करते रहे हैं. नोबल पुरस्कार विजेताओं ने अपने पत्र में लिखा है, "हम गंभीर दुख व्यक्त करते हुए कहना चाहते हैं कि शांतिपूर्ण ढंग से महज़ अपने मुलभूत मानवीय अधिकारों का इस्तेमाल करने की वजह से ही उन्हें जेल में रखा गया है."

प्रदर्शन की योजना
उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि विनायक सेन की गिरफ़्तारी जिन आंतरिक सुरक्षा क़ानूनों का हवाला देकर की गई है वह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं. राज्य पुलिस ने उनकी गिरफ़्तारी छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा क़ानून के तहत की थी. विनायक सेन की रिहाई के लिए चल रही मुहिम के तहत 14 मई को गिरफ़्तारी के विरोध में दुनिया भर में प्रदर्शन की योजना है.ग़ौरतलब है कि 14 मई को विनायक सेन की गिरफ़्तारी को एक वर्ष पूरे हो जाएँगे.
साभार बी.बी.सी.

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