01 मई 2008


दुनियाँ शेषनाग के फन पर नहीं, मजदूरों के कन्धे पर टिकी है.कल जो लडाईयाँ बहुत दूर दूर थी आज बहुत पास-पास की लडाइयाँ है. मजदूरों के दिनों दिन खत्म किये जा रहे अधिकारों और बढ्ते दमन के खिलाफ हम आज मजदूर दिवस पर फिर से दुनियाँ के मजदूरों एक हो का आवह्न करते है. इस कडी में कुछ कवितायें यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं.

हमारे मित्र विजय झा द्वारा सुनायी गयी कविता का अंश:-

माँ है रेशम के कारखाने में
बाप खट रहा है सूती मिल के कारखाने में
कोख से जब से जन्मा है
बच्चा खोली के काले बिल में है
ये जब यहाँ से निकलकर बाहर जायेगा
खूनीं पूँजीपतियों के काम आयेगा
........................
ये जो नन्हा है भोला भाला है
खूनी पूँजीपतियों का निवाला है
पूछती हैं इसकी आँखें
कोई इसे बचाने वाला है


१० फरवरी १९९८ में जर्मनी के बावेरिया प्रान्त में आग्सबुर्ग कस्बे में बेर्टोल्ट ब्रेष्ट का जन्म हुआ. बेर्टोल्ट ब्रेष्ट सर्वहारा कला साहित्य के अप्रतिम सिद्धान्त्कार थे. समाजवादी यथर्थवाद के अग्रदूतों में बेर्टोल्ट ब्रेष्ट का नाम पहली पंक्ति में है. उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिये न केवल मानवद्रोही मानव्द्वेशी शक्तियों पर हमला बोला बल्कि उनकी शक्ति की स्रोतों की भी शिनाख्त की. उन्होंने पूजीवाद की मानव द्रोही कलाद्रोही अन्तर्वस्तु को तार तर करते हुए जिजीविसा और युयुत्सा के गीत गाये. सीधी साधी लेकिन तीखी भाषा में ब्रेष्ट ने अपनी मुहावरे दार कविता और अद्भुत भाषा शैली के जरिये जनता को आन्दोलित किया.ब्रेष्ट एक कवि ही नहीं बल्कि एक महान नाट्क्कार भी थे. मजदूर दिवस पर उनकी कुछ कविताओं के अंश.....

तुम्हारे पंजे देखकर
ड्रते हैं बुरे आदमी
तुम्हारा सौषठव देखकर
खुश होते हैं अच्छे आदमी
यही मै चाहूँगा सुनना
अपनी कविता के बारे में।
:-ब्रेष्ट

भूल चुका है आदमी मांस की सिनाख्त
व्यर्थ ही भुला दिया है जनता का पसीना
जयपत्रों के कुंज हो चुके हैं साफ।
गोला बारूद की कार्खानों की चिमनियों से
उठता है धुआं॥
:-ब्रेष्ट


युद्ध जो आ रहा है
पहला युद्ध नहीं है।
इससे पहले भी युद्ध हुए थे।
पिछ्ला युद्ध जब खत्म हुआ
तब कुछ विजेता बने कुछ विजित.
विजितों के बीच आम आदमी भूखों मरा
विजेताओं के बीच भी मरा वह भूखों ही॥
:-ब्रेष्ट



जनरल, तुम्हारा टैंक एक मजबूत वाहन है
वह मटिया मेट कर डालता है जंगल को
और रौद डालता है सैकडो आदमियों को
लेकिन उसमें एक नुक्श है-
उसे एक ड्राइवर चाहिये।

जनरल, तुम्हारा बमबर्षक मजबूत है
वह तूफान से तेज उड्ता है और ढोता है
हांथी से भी अधिक।
लेकिन उसमे एक नुक्श है-
उसे एक मिस्त्री चाहिये।

जनरल, आदमी कितना उपयोगी है
वह उड सकता है और मार सकता है।
लेकिन उसमे एक नुक्श है-
वह सोच सकता है॥
:-ब्रेष्ट



जब कूच हो रहा होता है
बहुतेरे लोग नहीं जानते
कि दुश्मन उनकी ही खोपडी पर
कूच कर रहा है।
वह आवाज जो उन्हें हुक्म देती है
उन्हीं के दुश्मन की आवाज होती है
और वह आदमी जो दुश्मन के बारे में बकता है
खुद दुश्मन होता है।
:-ब्रेष्ट


अगली पीढी के लिये:-
सचमुच मै अंधेरे युग में जी रहा हूँ
सीधी साधी बात का मतलब बेवकूफी है
और सपाट माथा दर्शाता है उदासीनता
वह, जो हस रहा है
सिर्फ इसलिये की भयानक खबरें
अभी उस तक नहीं पहुंची हैं

कैसा जमाना है
कि पेड के बारे में बात चीत भी लगभग जुर्म है
क्योंकि इसमे बहुत सारे कुक्रित्यों के बारे में हमारी चुप्पी भी शामिल है।
वह जो चुप्चाप सड्क पार कर रहा है
क्या वह अपने खतरे में पडे हुए दोस्तों की पहुंच से बाहर नहीं है?
यह सच है: मै अभी भी अपनी रोजी कमा रहा हूँ
लेकिन विश्वास करो यह महज संयोग है
इसमे ऎसा कुछ नहीं है कि मेरी पेट भराई का ऒचित्य सिद्ध हो सके
यह इत्त्फाक है कि मुझे बक्श दिया गया है
(किस्मत खोटी होगी तो मेरा खात्मा हो जायेगा)
वे मुझसे कहते हैं: खा पी और मौज कर क्योंकि तेरे पास है
लेकिन मै कैसे खा पी सकता हूँ
जबकि जो मै खा रहा हूँ, वह भूखे से छीना हुआ है
और मेरा पानी का गिलास एक प्यासे मरते आदमी की जरूरत है।
और फिर भी मै खाता और पीता हूँ।
मै बुद्धिमान भी होना पसंद करता
पुरानी पोथियां बतलाती हैं कि क्या है बुद्धिमानी:
दुनिया के टंटों से खुद को दूर रखना
और छोटी सी जिंदगी निड्र जीना
अहिंसा का पालन
और बुराई के बदले भलाई
अपनी इच्छाओं की पूर्ति के बजाय उन्हें भूल जाना
यही बुद्धिमानी है
यह सब मेरे बस का नही
सचमुच मै अंधेरे युग में जी रहा हूँ॥
:-ब्रेष्ट