विजय तेंदुलकर जैसे लोग कभी मरते नहीं. समय की हलचल उन्हें जिन्दा रखती है. जब तक इस समाज में विजय के नाट्कॊं के पात्र व परिस्थिति जिन्दा हैं तब तक विजय तेन्दुलकर जिन्दा रहेंगे. विजय तेन्दुलकर को श्रद्धांजली:-<
मशहूर नाटककार और सिनेमा, टेलीविज़न की दुनिया के पटकथा लेखक विजय तेंदुलकर का सोमवार को निधन हो गया.अस्सी साल के तेंदुलकर पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. महाराष्ट्र के पुणे शहर के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम साँस ली.
'शांताता! कोर्ट चालू आहे', 'घासीराम कोतवाल' और 'सखाराम बाइंडर' उनके लिखे बहुचर्चित नाटक हैं.सत्तर के दशक में उनके कुछ नाटकों को विरोध भी झेलना पड़ा लेकिन वास्तविकता से जुड़े इन नाटकों का मंचन आज भी होना उनकी स्वीकार्यता का प्रमाण है.
पद्मभूषण से सम्मानित तेंदुलकर को श्याम बेनेगल की फ़िल्म 'मंथन' की पटकथा के लिए वर्ष 1977 में राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था.उनकी लिखी पटकथा वाली कई कलात्मक फ़िल्मों ने समीक्षकों पर गहरी छाप छोड़ी.
इन फ़िल्मों में 'अर्द्धसत्य', 'निशांत', 'आक्रोश' शामिल हैं. बचपन से ही रंगमंच से जुड़े रहे तेंदुलकर को मराठी और हिंदी में अपने लेखन के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप, महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार जैसे सम्मान भी मिले. हिंसा के अलावा सेक्स, मौत और सामाजिक प्रक्रियाओं पर उन्होंने लिखा. उन्होंने भ्रष्टाचार, महिलाओं और ग़रीबी पर भी जमकर लिखा.
छह साल की उम्र में कहानी
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 6 जनवरी, 1928 को पैदा हुए विजय ढोंडोपंत तेंदुलकर ने महज़ छह साल की उम्र में अपनी पहली कहानी लिखी थी. उनके पिता नौकरी के साथ ही प्रकाशन का भी छोटा-मोटा व्यवसाय करते थे इसलिए पढ़ने-लिखने का माहौल उन्हें घर में ही मिल गया.पश्चिमी नाटकों को देखते हुए बड़े हुए विजय ने मात्र 11 साल की उम्र में पहला नाटक लिखा, उसमें काम किया और उसे निर्देशित भी किया.
उन्हें मानव स्वभाव की गहरी समझ थी. .
शुरुआती दिनों में विजय ने अख़बारों में काम किया था. बाद में भी वे अख़बारों के लिए लिखते रहे.कहा जाता है कि उनके बहुचर्चित नाटक 'घासीराम कोतवाल' का छह हज़ार से ज़्यादा बार मंचन हो चुका है.इतनी बड़ी संख्या में किसी और भारतीय नाटक का अभी तक मंचन नहीं हो सका है.उनके लिखे कई नाटकों का अंग्रेज़ी समेत दूसरी भाषाओं में अनुवाद और मंचन हुआ है.पांच दशक से ज़्यादा समय तक सक्रिय रहे तेंदुलकर ने रंमगंच और फ़िल्मों के लिए लिखने के अलावा कहानियाँ और उपन्यास भी लिखे.उनकी बेटी प्रिया तेंदुलकर टीवी धारावाहिक 'रजनी' में अपनी भूमिका के बाद टेलीविज़न की पहली स्टार कही जाने लगीं थीं.प्रिया का वर्ष 2002 में 42 वर्ष की आयु में निधन हो गया था.-बी.बी.सी.
श्रृद्धांजलि.
जवाब देंहटाएं