वे जिन्हें लगता है कि जातिगत अत्याचार की घटनाएं पुरानी हो चुकी. वे जिन्हें लगता है कि समता के संवैधानिक नारों ने लोकतंत्र को अपनी पीठ पर लाद लिया है. जिन्हें लगता है कि दिन अच्छे आ गए हैं.... सवर्ण वर्चस्व और क्रूरताओं की लड़ाईयां अवशेष हो रही हैं. उन सबके लिए बिहार की यह घटना शायद फिर से सोचने को विवश करे. सवर्णों के क्रूर अत्याचारों ने पूरे एक गांव को ही नहीं तबाह किया है बल्कि पूरे समुदाय को आगाह किया है कि संविधान और लोकतंत्र से परे उनके साशन जिंदा हैं.   
बिहार
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दिनांक 15 अगस्त स्वतंत्रता
दिवस 2013 को ग्राम डडवा बडडी,  थाना शिवसागर
जिला रोहतास में धर्म स्थल रबिदास मंदिर के परिसर में घुसकर र्गैर दलित राजपूत 300
के सख्या बल में आकर दलित समुदाय के  चमार जाति
पर गोला-बारूद, लाठी-डंटा, भाला, गडासा के साथ एकाएक हमला बोल दिया. दलित महिला व पुरूष
तथा बच्चो के साथ मारपीट किया, जिसमें एक व्यक्ति कि हत्या हो गई है, व 39 महिला व
पुरूष तथा बच्चे गंभीर रूप से घायल हैं. गैर दलितों ने रबिदास का मंदिर व दलितो के
घर में किरोसीन का तेल डालकर आग लगाकर जला दिया. रबिदास मंदिर को पूरी तरह क्षतिग्रस्त
कर दिया गया है व एक दलित व्यक्ति का घर जलाकर राख का दिया गया है.
घटना का अंजाम 9 बजे सुबह में
गैर दलित राजपूत गुट बनाकर आये और दलितों के रबिदास मंदिर पर हमला बोल दिया और पहले
मंदिर में किरोसीन डालकर आग लगाकर जलाकर क्षतिग्रस्त कर दिया और एक दलित महिला मंजू
देवी का घर भी किरोसीन तेल डालकर आग लगाकर जला दिया, जिसमे दलित महिला के लाख रूपए
से ज्यादा की जान माल का क्षति हुआ है. लाखों लाख की समपत्ति का नुकसान पहुचाया गया
है.
इस घटना में दलित महिला व पुरूष
तथा बच्चो को मारपीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया है, जिसमें घायलो को पटना पी. एम.
सी. एच. में इलाज के लिए रेफर किया गया हैं बाकि लोगो का सासाराम सदर हॅास्पिटल में
इलाज किया जा रहा हैं. एक अन्य व्यक्ति की भी मौत हो चुकी है, 5 लोगों की हालत गंभीर
बनी हुई है लेकिन 10 लोगों के मरने की संभवना है. 
दलित अत्याचार के घटना के 1 घटे
बाद जिला प्रशासन, जिला पदाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, पुलिस पदाधिकारी व पुलिस बल के साथ
पहुचे हैं. घटना की जांच कर अपराधी पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. पुलिस अपराघियों को
हिरासत में लेकर पूछताछ कर छोड़ दिये गए हैं. 
रोहतास के पुलिस अधीक्षक ने बातचीत
के द्वौरान बताया है कि हम पूरी तरह से जांच कर कारवाई कर रहे हैं. अनुसूचित जाति जनताति
अत्याचार अधिनियम के अंतर्गत एफ. आई. आर. कर रहे हैं. 
पुलिस पदाधिकारी, सासाराम से
जन अधिकार केन्द्र, चेनारी, अध्यक्ष रविन्द्र कुमार से बातचीत में कहा है कि यहॉं के
राजपूत काफी दबंग है, हम पुलिस प्रशासन के तरफ से 9 लागों को हिरासत लिया गया है. सुरक्षा
के रूप में घटना स्थल पर पुलिस कैंप करेगी.
घटना का कारण: अखिल भारतीय रबिदासिया
धर्म संगठन के जिला अध्यक्ष काशी राम ने बताया कि रबिदास मंदिर स्थल पर निशान सिंह
की प्रतिमा बनाने को लेकर तथा निशान सिंह का झंडा लगाने को लेकर  राजपूत जाति के लोगों से दो महीने से झगडा व विवाद
चल रहा था. इस विवाद की सूचना दिनांक 7, 06 2013 को जिला पदाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक
रोहतास को दी गई थी, जिसमें जिला पदाधिकरी व पुलिसअधीक्षक ने दलितो एवं गैर दलित दोनो
पक्ष को शांति बनाये रखने का आदेश निकाला था कि किसी पक्ष को धार्मिक स्थल पर झंडा
नहीं फहरना है. झंडा तोलन यदि करना है, तो सहायक थाना बडडी में आकर झंडा तोलन करना
है अन्यथा नहीं करना है. दिनाकं 14/8/2013 को भी दोनों पक्ष को बुलाकर सहायक थाना बडडी
में शांति बनाने व झंडा तोलन करने से स्पष्ट मना किया गया था. इसके बावजूद भी राजपूत
लोग दलित के धर्म स्थ्ल के परिसर में शहीद निशान सिंह के नाम से आजादी के दिन जबरदस्ती
झांडा तोलन करने लगे जिसमें सभी दलित मिलकर इसका विरोध किये और झंडा तोलन रोकने का
प्रयास किये तो  राजपूत जाति के लोग 300-
400 कि संख्या में गुट बनाकर दलितों के मदिर में हमला बोल दिया, और आजादी का झंडा तोलन
करने के बहाने से घटना का अंजाम दिया. 
इस घटना की सूचना जिला पदाधिकारी
रोहतास को 7/06/2012 एवं 13/8/2013 को आवेदन के माध्यम से दिया गया था, जिसमे जिला
पदाधिकारी ने यह फैसला दिया था कि धर्मिक स्थ्ल पर किसी समुदाय का झंडा नहीं फहराया
जायेगा. इसके बावजूद भी राजपूतों ने जिला पदाधिकारी के आदेश को नहीं माना और दलितों
की हत्या कर दी. 
राजपूत लोग अपने पूर्वज निशान
सिंह का स्मारक बनाना चाहते हैं इसी कारण घटना को आंजाम दिया गया. निशान सिंह का स्मारक
लगाने के लिए हाई स्कूल के बच्चे व शिक्षको को भी इस्तेमाल किया जाता है, पहले शिक्षकों
के द्वारा स्कूल में झंडा फहराया जाता है. इसके बाद दलितों के धार्मिक स्थ्ल में राजपूत
आकर झंडा फहराना शुरू किया, इसमे आलमपुर ग्राम के छात्र को भी गोली लगने कि सूचना है.
दलित
किशोरी बच्चियो के साथ छेडखानी करने का दुसाहस:
राजकीय माध्यमिक विद्यालय बडडी
में झंडा तोलन करने के बाद 10 बजे राजपूत का एक लड़का आकाश कुमार व कुछ अन्य उसके सहयोगियों
ने जाकर दलित समुदाय के बच्चियो के बारे में मंटू नाम के शिक्षक से पूछने लगा कि हरिजन
की लडकियो को उठाकर ले जाने चाहते हैं और दबाव बनाने लगा, तभी स्कूल का गेट खुलते ही
सभी दलित बच्चियां भागी तो उनके द्वारा दौड़कर पकड़ने का प्रयास किया गया. रानी कुमारी
पिता रादारायन राम की लड़की व उसके साथ अन्य सभी लड़कियां जान बचाकर किसी तरह भाग गई.  15 अगस्त के दिन दलित समुदाय की लड़्कियां दूसरे
गांव में भी छुपी हुई थी.
बच्चो
पर हमला: घटना
के समय धर्म स्थल पर उस्थित नाबालिक दलित बच्चों पर भी हमला बोला गया और सामुदायिक
भवन व मंदिर के छत पर से बच्चों को उठाकर पटक दिया गया और कुछ बच्चों को उठाकर बाहर
फेंक दिया गया. जिसमें कई बच्चे भी गंभीर रूप से घायल है. जिसका इलाज सदर हॉस्पीटल
सासाराम में चल रहा है. 
घटना
का आंजाम देने वाला समूह: 
    नाम              पिता का नाम 
डॉ शम्भू सिंह      स्वं बच्चन सिंह 
लखन सिंह          स्वं केशो सिंह 
अक्षयबर सिंह      स्व कमला सिंह 
विनोद सिंह        स्वजगदीश सिंह 
रामअशिष सिंह   भाईजी सिंह 
उमाकान्त सिंह    मुन्सी सिंह 
श्री राम सिंह       स्वं जीरी सिंह 
दीपक सिंह         
आकाश सिंह        रामजी सिंह 
विभूति सिंह        विश्वनाथ सिंह 
अक्षय सिंह          अक्ष्यबर सिंह 
रणविजय सिंह     स्वं कुलवंश सिंह 
प्रकाश सिंह         रामप्रवेश सिंह 
चन्द्रशेखर सिंह     बिन्दा सिंह
शेखर सिंह          स्व रामेश्वर सिंह
हरिओम सिंह      स्व सिगासन सिंह 
विकास सिंह        भिखारी सिंह 
प्रकाश सिंह         रामप्रवेश सिहं 
इस
अत्याचार में अज्ञात लोग भी शामिल है. 
पीड़ित महिला व पुरूष तथा बच्चों
की सूचि: 
  1 बेलास राम           मृत्यू हो गई, अंतिम दाससंस्कार भी करवाया
है.  16 कृष्णवती देवी 
                                                                             17 बिन्दू देवी  
  2 शुकिया देवी                                                       18 देवती देवी 
  3 विकास कुमार        घायल, बच्चा                            19 बिमला दवी             
  4 संतोष कुमार           ,                                           20 तेतरी देवी 
  5 राजेशकुमार              ,,                                        21 अस्तारनी
देवी 
  6 राहुल कुमार            ,,  
                                      22 अनिता देवी 
  7 हलखोरी राम                                                     23 प्रकाशराम 
  8 आकाली देवी             महिला                               24 तेजा
साधु  मंदिर पुजारी 
  9 मीना देवी                 ,,                                    
  25 राजा राम              
 10 सरस्वती देवी                                                    26 नागिना राम 
 11 जोखना देवी                                                      27 दीपक राम 
 12 चम्पा देवी       र्गभवती महिला                            28 मगरू राम             
 13 शुकिया देवी 
                                                    29 फुलकुमारी
  14 उमरावती कुवर    15 सरोजा देवी                       30 सुदामा राम 
31 रामरतल राम                                                     32 
सहतूराम 
33 विद्यार्थी राम                                                      34 जिज्ञासी
देवी 
35 सरजु राम                                               
          36 मनोज राम 
37 नथुनि राम                                                         38 प्यारी देवी 
 40 अमित नन्दन 
 39 रमेश कुमार  
ग्राम
बडडी: यह राजपूत
बहुल गांव है दलितों की संख्या काफी कम है. यहॉं से जिला मुखयालय कि दूरी 25 किलो मीटर
थाना और प्रखण्ड भी लगभग 25 किलोमीटर है, लेकिन सहायक थाना से घटना स्थल कि दूरी
200 मीटर है. सहायक थाना भी समय पर नहीं पहुचा दलितो के सुरक्षा में. केन्द्र सरकार
व राज्य सरकार तथा सरकार के सभी विभाग व आयोग तथा सामाजिक संगठनो से अनुरोध है कि दलितो
कि सुरक्षा में मदद, एवं अपराधियों को गिरफ्तार कर सजा दिलाने में सहयोग प्रदान किया
जाये. सभी दलितों को सम्मान से जीने के अधिकार की गांरटी दी जाये. 
क्या यही देश की आजादी है? लोकतंत्र
के नाम पर यह क्रूर अपमान: है. 15 अगस्त के दिन लम्बे चौड़े लोकतंत्र पर दिए गए भाषण
पर शर्मिंदा होना चाहिए. प्रधान मंत्री एवं मुख्य मंत्री तथा अन्य नेताओं ने जो भी
कहा कि दलितो के लिए ये  कर रहे हैं और देश
आज़ाद है. वो सब झूठी दलीले हैं और यह सब बकवास है. आजाद भारत देश में दलित गुलाम है,
जिसे वे स्वतंत्रता का दिन कहते हैं उसी दिन राजपूतों ने संविधान का अपमान एवं मौलिक
अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, अभिक्ति का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, जीवन
के अधिकार का घोर उलंघन किया है. 
                                          जन अधिकार
केन्द्र,चेनारी रोहता, बिहार 
संपर्क: 09572427099
सवर्ण अपना वर्चस्व इतनी आसानी से नहीं छोड़ेंगे | ये घटनाएँ किसी गृह-युद्ध की और संकेत कर रही हैं |
जवाब देंहटाएंदेश आज़ाद नहीं है यह लोग देश को आज़ाद नहीं रहने देंगे पहले यह अंग्रेज़ो के पिटठू थे अब खुद उनके गुण ले कर काले अंग्रेज़ बनने की कोशिस कर रहे है।
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