सुनील कुमार
आसाराम पर पहले भी कई बार आरोप लग चुके हैं लेकिन हर बार वह अपनी राजनीतिक पहुंच के कारण बड़े-बड़े कांड को भी वो रफा-दफा कराने में कामयाब रहे। आसाराम के छिंदवाड़ा, ‘गुरूकुल’ में पढ़ने वाली 16 वर्षीय नाबालिग छात्रा ने दिल्ली के कमला मार्केट थाना में 19 अगस्त को यौन शोषण (बलात्कार) का केस दर्ज कराया है। मेडिकल टेस्ट में भी नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार की पुष्टि हो गई है। लड़की के स्वस्थ्य होने के बावजूद ‘गुरूकुल’ द्वारा लड़की के मां-बाप को सूचना देकर बुलाया गया और बताया गया कि लड़की बीमार है उस पर भूत-प्रेत की साया है। प्रेत की सया से छुटाकार दिलाने के लिए अनुष्ठान करना पड़ेगा और अनुष्ठान स्वयं आसाराम बापू ही करेंगे और वो जोधपुर के आश्रम में हैं। लड़की व उसके मां-बाप जोधपुर आसाराम के पास आ गये। आसाराम का व्यक्तिगत आश्रम जोधपुर के मनई गंाव के एक फॉर्म हाऊस में है। इस आश्रम में आसाराम उनके सहयोगी शिवा तथा महिला सेविका ही प्रवेश कर सकती हैं। यहां तक कि फॉर्म हाऊस के मालिक और उनके पुत्र नारायण साईं को भी जाने की इजाजत नहीं थी। इसी आश्रम में आसाराम ने पीड़िता व उसके मां-बाप को अनुष्ठान करने के लिये बुलाया था। इसी आश्रम में जांच के दौरान पता चला है कि कुछ माह पहले आसाराम ने एक और लड़की को हवश का शिकार बनाने की कोशिश की लेकिन शोर-मचाने के कारण लड़की बच गई।
आसाराम पर बलात्कार की खबर जब मीडिया में आया तो आसारम के प्रवक्ता सुनली वानखेड़े ने सफेद झूठ बोलते हुए कहा कि बापू उस दिन जोधपुर मे थे ही नहीं, वे 11 अगस्त् को ही जोधपुर से चले गये थे। जब यह साबित हो गया कि आसाराम 15 अगस्त् को जोधपुर में ही थे तो आसाराम ने सफाई देना शुरू किया। आसाराम ने माना कि लड़की व उसके मां-बाप स्वेच्छा से अनुष्ठान कराने के लिए उनके आश्रम में आये हुए थे। वे अपने भक्तों को बता रहे थे कि उनका आश्रम इतना शांत है कि कोई धीरे से भी ताली बजाये तो उसकी आवाज बाहर जाती है। इस तरह आसाराम ने मान लिया कि 15 अगस्त् को लड़की उनके साथ थी, अभी पुछताछ में उन्होंने यह भी माना है कि लड़की 1 घंटे तक उनके साथ एकांत में थी।
आसाराम के ‘शिष्य’ साधक
आसाराम के ‘शिष्य’ जिसको आसाराम की भाषा में ‘साधक/साधिका’ कहा जाता है। उनके व्यवहार से आपको कहीं ऐसा नहीं लगेगा कि वे साधक हैं वे अपने को साधे हुए हैं। वे जगह-जगह मार-पीट किये यहां तक कि जोधपुर में तो मीडिया वालों को बुरी तरह पीटे, केमरे तोड़ दिये जिसमें आसाराम की महिला साधक अग्रणी भूमिका निभा रही थीं। इसी तरह 30 अगस्त् को जन्तरमन्तर पर आसाराम के ‘साधक/साधिका’ मीडिया के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। इसमें हरियाणा और दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों से 400-500 लोग आये हुए थे जिसमें कई तो पूरा छुट भैय्या नेता की ड्रेस में थे। वे मीडिया को पानी पी-पी कर गाली दे रहे थे- ‘‘भारतीय संस्कृति का अपमान नहीं सहेगा हिन्दुस्तान,’’ ‘‘पैसा लेकर अपना ईमान बचेने वाली मीडिया मुर्दाबाद,’’ ‘‘देशद्रोही मीडिया हाय..हाय,’’ ‘‘पेड मीडिया मुर्दाबाद,’’ ‘‘बापू हैं सच्चे, हम हैं बापू के बच्चे’’ इत्यादि। इन ‘साधकों’ में से एक ‘साधक’ से मेरी बात हुई है यह ‘साधक’ कह रहा था कि ‘‘बापू गंगा जैसे पवित्र हैं वे गलत कर ही नहीं सकते, उनको फंसाया जा रहा है। बापू सेक्स नहीं कर सकते, क्योंकि वे त्रिबंध योग करते हैं जो कि सेक्स पॉवर को खत्म कर देता है। बापू अपने सभी साधकों को त्रिबंध योग सिखाते हैं मैंने भी कुछ समय किया है जिससे मेरी सेक्स पॉवर खत्म हो रही थी तो मैंने छोड़ दिया क्योंकि मैं शादी-शुदा था। बाबा तो रोज त्रिबंध करते हैं तो वे सेक्स कैसे कर सकते हैं?’’ ये पूछने पर कि बाबा यदि गलत किये हों तो क्या होना चाहिए? ये ‘साधक’ अपना आपा खोते हुए गालियां बकने लगा; जबकि मेरे साथ में एक महिला भी थी ‘‘बाबा का कोई ............ उखाड़ नहीं सकता, उसकी........ ये वो,’’ इन गालियों के साथ-साथ वो उसी तरह का एक्शन भी कर रहा था। उसी दिन एक और घटना हुई, जब हम दो लोग बात कर रहे थे कि आसाराम की गिरफ्तारी में जानबूझकर देर किया जा रहा है उसको काफी समय दिया गया, जबकि दिल्ली-मुम्बई के गैंग रेप में 24 घंटे में गिरफ्तारी हो गई थी। पुराने केसों में भी कुछ नहीं हुआ एक उनका ‘साधक’ पास में खड़ा था जब मेरे मित्र चल गया तो गाली से बातें शुरू किया ‘‘मेरा घर हिसार में है अभी तुम्हारे ............ हाथ कर दूंगा। तू कांग्रेस का दलाल है।’’ ये रहा आसाराम के साधकों का चरित्र। यहां तक कि उनके ‘साधक’ गिरफ्तारी के बाद भी जहाज के अन्दर उनके साथ यात्रा कर रहे थे और मीडिया वालों को अपना काम करने से रोकते रहे। जबकि यही मीडिया वाले अपना टी.आर.पी. बढ़ाने के लिए आसारा जैसे पाखंडी बापूओं, गुरूओं, बाबाओं को बढ़ावा दिया है।
लड़की के पिता का कहना है कि वे ‘‘संत आसाराम बापू को भगवान मान उनकी भक्ति में पागल थे। शाहजहांपुर में आश्रम के लिए जमीन खरिदवाई। लाखों रुपये बापू की सेवा में खर्च कर दिए। पत्नी, बेटे, बेटी भी बापू को भगवान मानते थे। चैनलों और अखबारों में बापू के खिलाफ खबरें देख उन्हें भी बापू के खिलाफ दुष्प्रचार, षड़यंत्र नजर आता था। वे कई बार मीडिया से भिड़ गए, गाली-गलौच तक कर डाला। लेकिन खुद की बेटी के साथ दुष्कर्म होने पर बापू की असलियत का पता चला। बापू के कुकृत्यों को सामने लाने पर जो साधक आज मुझे गलत समझ रहे हैं, असलियत सिद्ध होने पर वे साथी साधक भी उनकी तरह आसाराम से घृणा करने लगेंगे।’’ तो क्या आज जो लोग आसाराम के समर्थन में आ रहे हैं वे अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं? इसमें से बहुत ऐसे लोग होंगे जो दामनी/निर्भया कांड में फांसी की सजा की मांग कर रहे होंगें। लेकिन उनकी आखों पर धर्म की जो पट्टी चढ़ी है उससे आसाराम की दरिंदगी को नहीं देख पा रहा है। आसाराम के प्रमुख सेवादार शिवा ने पुलिस के सामने खुलासा किया है कि आसाराम बापू कई महिलाओं से अकेले में मिलते थे।
आसाराम आश्रम के पूर्व सदस्य राजू चंडक ने पुलिस हलफनामे में दवा किया है कि उन्होंने आसाराम को महिलाओं के साथ यौन शोषण करते हुए देखा है। आसाराम तांत्रिक रस्में भी करते हैं इसके बाद दिसम्बर 2009 में राजू चंडक पर दो अज्ञात व्यक्तिों ने अहमदाबाद में बंदूक से जानलेवा हमला किया। जिसमें आसाराम नामजद हैं।
जिस आसाराम को उनके ‘साधक’ त्रिबंध योग के द्वारा अपने को नपुंसक बनाने की बात कह रहे थे वे मेडिकल जांच में साबित हो चुका है कि वे सेक्स कर सकते हैं। अपने को निर्दोष बताने वाले आसाराम जवाब देने से क्यों बचते रहे? क्या मीडिया अब इन बाबाओं को धर्म गुरूओं को दिखाना और उन्हें नायक बनाना बंद कर देगी? महिलाओं के प्रति आशाराम के मनोरोग का पता चलने और थू-थू होने के बावजूद क्या ऐसे बापुओं, बाबाआंे, ढोंगी-पाखंडी, साधुओं और अध्यात्मिक गुरूआंे के ‘‘कारोबार में कोई कमी आएगी? इन बाबाओं की सभाओं में डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, पत्रकार, फिल्म सितारे, खिलाड़ी पहुंचकर उनकी ढोंग को बढ़ावा देते रहे हैं। क्या ये लोग इनके आश्रमों, चौखटों पर माथा टेकना बंद कर सकते हैं?
बलात्कार जैसे केसों में भी आम और खास को भेद-भाव हो रहा है। जहां दिल्ली और मुम्बई जैसे गैंग रेप के आरोपियों को 24 घंटे में पकड़कर कई दिन पुलिस कस्टडी में रखा गया। क्यों नहीं आसाराम के खिलाफ और सबूत जुटाए जा रहे हैं, उनके ऊपर जो भी अभी तक आरोप लगे हैं उसकी सबुत जुटाये जा रहे हैं? इन सभी सबूतों के आधार पर ही हम पीड़िता को सही न्याय दिला पायेंगे। आसाराम को जेलर अपने घर से दलिया क्यों लाकर दे रहे हैं (इंडिया टीवी) ? वहीं आसाराम पर केस दर्ज होने के 10 दिन बाद गिरफ्तार करते हैं और महज एक दिन की पुलिस कस्टडी में पुछताछ पूरा कर लेते हैं। इसी राजस्थान में बलात्कार के आरोपियों को 10 दिन, 16 दिन और 4 माह में सजा सुना दिया गया है।
लोगों को अंध भक्ति बनाने में धर्म का बहुत बड़ा हाथ है जिस धर्म में कृष्ण-गोपियों की लीला की बात होती है जहां एक पुरुष सैकड़ों-हजारों महिलाओं के साथ सेक्स कर सकता है। इसी का सपना दिखाकर आसाराम बापू जैसे संत छोटी-छोटी बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाते हैं। शासक वर्ग ऐसे बाबाओं को फलने-फूलने देता है कि ये बाबा समस्याओं से मुंह मोड़ना सिखाते हैं। लुटेरों को बचाने के लिए ये लोगों को ‘‘कर्म किये जा फल की चिन्ता मत कर’’ की शिक्षा देते हैं। जिस दिन इन बाबाओं की दुकानें बंद हो जाएंगी लोग सही अर्थों में मुक्ति का रास्ता खोजने लगेंगे।
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