16 जून 2008
क्या तुम जानते हो?
निर्मला पुतुल की कविताओं में एक विलुप्त होते आदिम सभ्यता की धुन है. आदिवासी संथाल परिवार में परिवार में जन्मी पुतुल ने कविता विधा में आदिवासी समाज में महिलाओं और उनके अंतर्नाद को गुंजित किया है.किसी सभ्यता के लुटने के पहले की एक पुकार....एक आखिरी चीख...बचाये जाने के अंतिम स्वर सुनयी पड़ते हैं.ऎसे समाज में महिलाओं को दो स्तर की लडा़ईयाँ लड़नी पड़ रही है.प्रश्न के रूप में हमारे सामने खडी़ निर्मला पुतुल की ये कवितायें हमारी संवेदनाओं को क्या जरा भी नहीं छूती? क्या यह समय संवेदनाओं के मर जाने का है ? क्या दुनियादारी इसी का नाम है कि कहीं नौकरी करते हुए हम अपनी एक और पीढी़ को नौकर बनाने के फ़िराक में जुटे रहें?आज जब आदिवासी समाज को लूटने की पूरी कोशिशें जारी हैं.ऎसी स्थिति में बचाव के पक्ष में आने वाला हर नागरिक उग्रवादी बना दिया जा रहा है.सरकारी चश्में को उतारकर अपनी नंगी आँखों से देखते इस सच को इस लडा़ई को सलाम करते हुए हम निर्मला पुतुल की कविता संग्रह:-नगाड़े की तरह बजते स्वर से साभार ये कविता .....?या यूँ कहें ये प्रश्न प्रकाशित कर रहे हैं.
क्या तुम जानते हो
पुरूष से भिन्न
एक स्त्री का एकांत?
घर प्रेम और जाति से अलग
एक स्त्री को उसकी अपनी जमीन
के बारे में बता सकते हो तुम?
बता सकते हो
सदियों से अपना घर तलाशती
एक बेचैन स्त्री को
उसके घर का पता?
क्या तुम जानते हो
अपनी कल्पना में
किस तरह एक ही समय में
स्वयं को स्थापित और निर्वासित
करती है एक स्त्री?
सपनों में भागती
एक स्त्री का पीछा करते
कभी देखा है तुमने उसे?
रिस्तों के कुरु क्षेत्र में
अपने आपसे लड़ते?
तन के भूगोल से परे
एक स्त्री के
मन की गाँठें खोलकर
कभी पढा़ है तुमने
उसके भीतर का खौलता इतिहास?
पढा़ है कभी
उसकी चुप्पी की दहलीज पर बैठ
शब्दों की प्रतीक्षा में उसके चेहरे को?
उसके अंदर वंशबीज बोते
क्या तुमने कभी महसूसा है
उसकी फ़ैलती जडो़ को अपने भीतर?
क्या तुम जानते हो
एक स्त्री के समस्त रिस्ते का व्याकरण?
बता सकते हो तुम
एक स्त्री को स्त्री-द्रिश्टि से देखते
उसके स्त्रीत्व की परिभाषा?
अगर नहीं!
तो फिर जानते क्या हो तुम
रसोई और विस्तर के गणित से परे
एक स्त्री के बारे में?
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बहुत बहुत धन्यवाद एक अच्छे आलेख के साथ इस कविता को पोस्ट करने का और पढ़ने लिखनेवालों को निर्मला पुतुल के बारे में बताने के लिये. मैं खुद इस शानदार कवयित्री की कुछ और कविताओं को जल्दी ही अपने ब्लॉग पर लगाने वाला हूं.
जवाब देंहटाएंFor us when we visit some blog site our main objective is to ensure that we will be entertained with this blog.
जवाब देंहटाएंBaw, kasagad-sagad sa iya ubra blog!
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता के लिये बधाई. नगाडे की तरह ही बज रहा है कुछ.
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा रचना प्रस्तुत करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएं