29 अगस्त 2010

हिन्दुत्व के प्रचार में मध्यप्रदेश सरकार

चन्द्रिका

मध्य प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़े विद्या भारती के साथ १३. करोड़ रूपये का एक करार किया है. इस करार में विद्या भारती की बाल पत्रिका "देवव्रत" को मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मुफ्त बाटने का निर्णय लिया गया है. जिसके तहत देवव्रत पत्रिका मध्य प्रदेश के लाख १० हजार स्कूलों तक पहुंचायी जायेगी. १९७७ में जब विद्या भारती की स्थापना की गयी थी तो इसका उद्देश्य था कि शिक्षा के क्षेत्र में हिन्दुत्व को स्थापित करना और आज तकरीबन २५ लाख विद्यार्थी इस संस्थान के तहत पंजीकृत हैं और १८ हजार संस्थानों को इसके द्वारा संचालित किया जा रहा है. आखिर इन संस्थानों को धन कहाँ से मुहैया होता है कि वे इतने बृहद पैमाने पर अपने को स्थापित करने में सक्षम हो पाते हैं. शिक्षण संस्थानों के माध्यम से ये संगठन जिस संस्कृति का निर्माण कर रहे हैं वह देश के संविधान में लिखित धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध एक धार्मिक और हिन्दूवादी समाज की स्थापना के रूप में ही सहायक हो सकती है.

मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा बाल पत्रिका "देवव्रत" के साथ किये जाने वाले १३. करोड़ के इस करार को किस रूप में देखा जाना चाहिये. क्या यह महज एक बाल पत्रिका का बृहद पैमाने पर स्कूलों तक पहुंचाया जाना है या फिर इसके निहितार्थ कुछ और भी हैं. भाजपा जैसी राजनीतिक पार्टियां जिनका उभार हिन्दुत्व के एजेंडे के साथ हुआ था आज केन्द्र के स्तर पर भले ही कमजोर दिख रही हों पर जिन राज्यों में उनका शासन है वहाँ वे अपने जन संगठनों के माध्यम से एक ऐसी संस्कृति का निर्माण कर रही हैं जो हिन्दुत्व को और धार्मिक कट्टरता को मजबूत करती है. यह एक तरह का सास्कृतिक गठबंधन हैं जो स्कूलों में हिन्दुत्व की शिक्षा को मजबूत बनाते हुए भविष्य के लिये एक पीढ़ी तैयार करेगा जो भाजपा संघ के लिये फलदायी होगी. एक राष्ट्रव्यापी संगठन के रूप में संघ के फैले तमाम संगठन अपने उद्देश्यों की पूर्ति इसी रूप में करते हैं. जहाँ आर्थिक रूप से इन्हें सशक्त करने के लिये भाजपा का समर्थन प्राप्त होता है. यह समर्थन कई बार प्रत्यक्ष तौर पर तो कई बार परोक्ष तौर पर मिलता रहता है. यह करार उसी का एक हिस्सा है या दूसरे तौर पर कहा जाय तो बच्चों की नयी पीढ़ी को हिन्दुत्व का पाठ पढ़ाने के लिये मध्य प्रदेश सरकार का सहयोग विद्या भारती को इस एम..यू. के रूप में दिया जा रहा है.

संघ ने देश में जन संगठनों की एक ऐसी संरचना तैयार की है जो जीवन के हर क्षेत्र में हिन्दुत्व के मुताबिक व्यक्ति की धार्मिक प्रतिपूर्ति करती है. यह एक स्थिति है जिसमे देश का संविधान भले ही धर्मनिरपेक्षता जैसे शब्दों को टंकित करके बंद कर दिया गया हो पर बृहद पैमाने पर फैले इन संगठनों ने देश की बड़ी आबादी के बच्चों को पैदा होते ही संस्कारों और नैतिकताओं के रूप में हिन्दुत्व का बीजारोपण किया है. अलबत्ता उम्र अन्य सामाजिक परिवेश के तहत उनके विचारों में तब्दीली भले ही जाय. लिहाजा देश में पैदा होने वाले अधिकांस हिन्दू परिवारों के बच्चे पैदाइसी संघी होते है. अपने शिक्षण के दौरान विज्ञान पढ़ने अपने जीवन में वैज्ञानिक पद्धति को लागू करते हुए भी दृष्टिकोण के स्तर पर वे तार्किक और वैज्ञानिक नहीं हो पाते क्योंकि इन संस्थानों का प्रभाव महज स्कूल तक ही सीमित नहीं है बल्कि वह आस-पास इस तरह का एक समाज भी निर्मित करता है. प्रायः इन संस्थानों द्वारा प्रकाशित वितरित की जाने वाली पत्रिकायें विचार और ज्ञान प्राप्ति की प्रक्रिया को कम महत्व देते हुए एक ऐसा संकीर्ण और जुनूनी स्वरूप रखती हैं कि विषय वस्तु के मायने ही बदल जाते हैं. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शिक्षण संस्थानों में जिन पत्रिकाओं का वितरण किया जाता है उसमे देश भक्ति के नाम पर हिन्दुत्व राष्ट्रवाद का ही सम्प्रेषण होता है. बच्चों के मन मस्तिस्क में गांधी, भगत सिंह, गोलवलकर, सावरकर, नेहरू स्वामी विवेकानन्द सबको एक ही रूप में स्थापित कर दिया जाता है और इनकी वैचारिक व्यव्हारिक भिन्नता से बच्चे महरूम रह जाते हैं. वे एक ऐसे इतिहास, राष्ट्र की एक ऐसी संकल्पना का अध्ययन करते हैं जो तथ्य के तौर पर तो सही हो सकता है पर अवधारणा के रूप में अन्य शिक्षण संस्थानों से भिन्न एक हिन्दूवादी दृष्टिकोण होता है. मध्यप्रदेश सरकार बाल पत्रिका को राज्य के सभी स्कूलों में वितरित करते हुए संघ के इसी दृष्टिकोण को स्थापित करने का एक सरकारी कार्यक्रम चलायेगी, जो मध्यप्रदेश के बच्चों को धार्मिक आख्यानों कल्पित कथाओं से लैस एक हिन्दू के रूप में निर्मित करेगा.

यह एक दीर्घकालिक उद्देश्य के तहत कार्य करने की रणनीति होती है. जहाँ सांस्कृतिक तौर पर एक नवजात पीढ़ी को हिन्दुत्व की मानसिकता से भर दिया जाता है ताकि यह पीढ़ी अपने युवाकाल पूर्व निर्मित मानसिकता के अनुरूप इन धार्मिक संगठनों के सहयोगी के रूप में भूमिका अदा करे. साथ में भाजपा अपने राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति में सक्षम हो सके.

3 टिप्‍पणियां:

  1. क्या मध्यप्रदेश सरकार उन स्कूलों मैं राष्ट्रद्रोह पढायेगी,आतंकवाद पढायेगी,भारत माता का अपमान पढायेगी,या गरीबों का खून चूसने के बारे मैं पढायेगी .....पर शायद आपकी समस्या ये है कि वहां मदरसों की तरह जिहाद नहीं पढाया जायेगा,बहां ईसाई स्कूलों की तरह धर्मांतरण नहीं होगा....
    बहिन जी आपको राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का फर्क समझना होगा....धर्म निरपेक्षता के मायने जिहाद औऱ धर्मांतरण नहीं होता....मुस्लिम लीग से गठबंधन करने वाले लोग ही धरमनिरपेक्षता के सबसे बङे पेरोकार बने हुए हैं...क्यों स्वयं को और जनता को भ्रमित कियो हुए हैं आप

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  2. मोहम्मद, चाचा मार्क्स, लेनिन, स्टालिन, माओ ने दुनिया को खून से लाल कर दिया। क्या भारत में उनके बारे में बताया जाना चाहिये या वीर सावरकर, नेताजी, मदनमोहन, विवेकानन्द, दयानन्द आदि के बारे में।

    यदि भारत जिन्दा है तो संघ ही उसका कारण है।

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  3. नक्सल समर्थक चन्द्रिका की दुखती नब्ज फैसले से नहीं है असल में इस खबर के बाहर आने से है कि - "बाबरी विध्वंस के संभावित फैसले के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से खुफिया एजेंसियों ने आईएसआई और नेपाली माओवादियों के गड़बड़ी फैलाने की आशंका वाली खबरें प्लांट करना शुरू कर दिया है।"

    नक्सलत्व के प्रचार से बाज आओ बाकी सब सुथरा हो जायेगा।

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