कुछ तो छोड़ ही जाना चाहिए जिसमे आग न सही... धुआं न सही... बस बची हो एक अदद आवाज़ मीलों दूर समुद्रों की लहरों के बीच पड़े सीप के जीव जैसी. यकीन करो एक दिन चींटियां ढूढ़ लाएंगी दुनिया के सबसे विलक्षण रहस्य को और एक शाम ढलेगी बगैर उनके जो फिलिस्तीन को फिलिस्तीन नहीं होने देना चाहते. हर बार शब्दों में रिरियाहट हो यह जरूरी नहीं. यहाँ पर कुछ कवियों की कविताएं और गीत के ऑडियो प्रकाशित कर रहे हैं. उम्मीद है आपको सुनकर अच्छा लगेगा......थोड़े समय के लिए इंटरनेट से अलविदा.
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कविताएं चन्द्रिका की आवाज में.
१- धर्म
सेंधुरा के भाव-सुनील
पॉल राब्सन-अमिताभ
लाल झंडा लेकर-सुनील
कबीर-अमिताभ
इंसा पैरों पर-सुनील
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