12 दिसंबर 2007

मुझे गवाह के कटघरे मे आने दो


मेरा मुक़दमा ऐसा नही की उसका फैसला
काले कोटवालों की नीली कर्रेंसी नोट देकर
किसी एक देश की किसी एक अदालत मी हो जाए
मुझे गवाह के कटघरे में आने दो

तुम लोग जो आदमी की आस्था को बरबाद करते हो
इश्वर के नाम पर मुझे शपथ क्यों दिलाना चाहते हो
निर्दोष और अपराधियों के लिए
तुमलोग एक ही कानून पर बहस करते हो
न्याय को चूहे की तरह तुम लोग उतार देते हो
वकील की फीस की गर्त में
इस काम के लिए तुम्हारी योग्यता क्या है
मुझे गवाह के कटघरे मे आने दो

तुम्हारा ही न्याय और तुम्हारा ही जेलखाना
तुम डरते क्यों हो
एक अंतहीन सांचा चला आ रहा है युगों से

यह भरा हुआ है तुम्हारे दिमाग के महलों में
तुम्हारे कबूतर गुटुर्गूँ कर रहे हैं घरेलु मुड़ेरों पे
मधुर आकांक्षाएं झरती जाती हैं हर क्षण
तुम अपने सरों को कलम क्यों नही करते
नही ढहाते कमरे की चारों दीवारें
कारों दिशाएं खोल दो फ़िर देखना तुम विश्व नागरिक कैसे नही बनते

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