-दिलीप खान
(मूल रूप से शोध पत्रिका जन मीडिया के वर्ष-2, अंक-13 में प्रकाशित। पीडीएफ में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।)
अमेरिका और यूरोप के ज़्यादातर देशों की तरह भारत में क्रॉस मीडिया ओनरशिप पर पाबंदी नहीं है। [1] नतीजतन कोई मीडिया कंपनी धीरे-धीरे चीनी का व्यवसाय शुरू कर देती है [2] और कोई ऊर्जा उत्पादन और तेल के धंधे में पैर पसार लेती है। [3] इसके उलट कई बार चिट फंड और रियल एस्टेट जैसी गैर-मीडिया कंपनियां भी अख़बार और टीवी चैनल खोलकर लोगों से मुखातिब हो जाती हैं। [4] पिछले एक दशक में मीडिया कारोबार में यह चलन बड़े स्तर पर सामने आया है। लोगों के बीच अपने मुताबिक सामग्री प्रस्तुत करने का जो विकल्प अख़बार या फिर टीवी चैनल खोल लेने के बाद कंपनियों को हासिल होता है वो किसी भी हद तक छूट मिलने के बावज़ूद विज्ञापन से हासिल नहीं किया जा सकता। इस तरह अगर एक कंपनी के पास अख़बार भी है, टीवी चैनल भी, रेडियो भी, पत्रिका भी और वेबसाइट-पोर्टल भी तो अपने दूसरे धंधों से जुड़े मामलों की रिपोर्टिंग में वो उस हद तक सतर्कता बरतने का प्रयास करती है जिससे उसका मुनाफा बुलंद रहे। कई मामलों में यह प्रयास सतर्कता से आगे पहुंच जाता है और अख़बार अपने समूह के दूसरे व्यवसाय से जुड़ी खबरों को इस तरह पेश करता है कि पाठक के सामने उसके सामाजिक तौर पर जिम्मेदार समूह की छवि उभर कर सामने आए। यह किसी एक समूह तक सिमटा मसला नहीं है, बल्कि सतही निरीक्षण से ही इस तथ्य को नियमित अंतराल पर उजागर किया जा सकता है।
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टाइम्स ऑफ इंडिया के समीर जैन की तरह रमेश चंद्र अग्रवाल ने विदेश में पढ़ाई नहीं की है। भास्कर का
विस्तार उसने 'स्वदेशी' तरीके से किया है। |
1958 में क्षेत्रीय स्तर पर अखबार शुरू करने वाले दैनिक भास्कर समूह, जोकि पिछले तीन दशक में अकूत विस्तार पाकर 13 राज्यों में फैल चुका है और अब डीबी कॉर्प प्राइवेट लिमिटेड नाम से शेयर बाजार में सूचीबद्ध है, ने हाल ही में नई दिल्ली में 'तीसरा पावर विजन कॉनक्लेव' का आयोजन किया। [5] 28 मार्च को यह कार्यक्रम हुआ लेकिन उससे पहले के एक हफ्ते में इससे जुड़ी खबर डीबी कॉर्प समूह के मुख्य अखबार दैनिक भास्कर में तीन बार पहले पृष्ठ पर छपी। [6] एक बार एक कॉलम में और दो बार दो-दो कॉलम में।
तीनों खबर में एक ही बात बताई गई कि 28 तारीख को 'तीसरा पावर विजन कॉनक्लेव' नई दिल्ली में होना है जिसमें 'फोकस स्टेट' मध्य प्रदेश होगा। खबर के लिहाज से देखें तो तीन बार दोहराए जाने के पैमाने पर यह खरा नहीं उतरती। [7] लेकिन दैनिक भास्कर में न सिर्फ यह तीन बार छपी बल्कि हर बार इस खबर को पहले पन्ने पर जगह मिली। यह अपने समूह द्वारा होने वाले आयोजन का एक तरह से प्रचार था जिसे अखबार का मंच मुफ्त में उपलब्ध होने की वजह से बार-बार खबर बनाकर प्रस्तुत किया गया। लेकिन मजेदार यह है कि एक भी मौके पर दैनिक भास्कर में यह जानकारी नहीं दी गई कि इस समूह का पावर (ऊर्जा) के क्षेत्र के साथ आर्थिक हित जुड़े हैं।
पाठकों को ये जरूर बताया गया कि इस कॉनक्लेव के प्रायोजक में सुकैम, जिंदल पावर, बंगाल ऐमटा, वेदांता और पहाड़पुर पावर शामिल हैं, लेकिन यह जानकारी छुपा ली गई कि दैनिक भास्कर समूह की डिलीजेंट पावर प्राइवेट लिमिटेड (इसको डीबी पावर प्राइवेट लिमिटेड भी कहा जाता है।) तापीय ऊर्जा के क्षेत्र में सक्रिय कंपनी है। इस तरह खबर को पढ़ने के बाद पाठकों को एकबारगी यही लगेगा कि भास्कर समूह देश की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति के लिए काफी हद तक चिंतिंत होने की वजह से यह आयोजन जनता के हित में कर रहा है।
दैनिक भास्कर की फादर कंपनी डीबी कॉर्प प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आयोजित यह तीसरा कॉनक्लेव था। सबसे पहले साल 2011 में समूह ने जो आयोजन किया था उसमें 'फोकस स्टेट' के तौर पर छत्तीसगढ़ और राजस्थान को शामिल किया गया फिर इसके बाद 2012 में हरियाणा पर केंद्रित करते हुए कार्यक्रम हुआ।
[8] डीबी पावर लिमिटेड का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। पांच साल से कम उम्र की इस कंपनी को उत्पादन के लिए तैयार करने के बाद दैनिक भास्कर समूह की गतिविधियों पर नज़र रखी जानी चाहिए। गौरतलब है कि पावर क्षेत्र में कंपनी की शुरुआत करने के बाद ही दैनिक भास्कर समूह ने 'पावर कॉनक्लेव' का आयोजन भी शुरू किया। पहले कॉनक्लेव के 'फोकस स्टेट' छत्तीसगढ़ में कार्यक्रम से पहले ही इस कंपनी ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए थे और 2011 के उस कॉनक्लेव के बाद छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में मौजूद इसके प्लांट में काम की गति तेज हो गई।
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मध्यप्रदेश: जहां नया प्लांट बनना है |
आज छत्तीसगढ़ में डीबी पावर के पास 1200 मेगावाट का प्लांट है। [9] छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार की सिफारिश पर केंद्र ने कंपनी को दो कोयला ब्लॉक आवंटित किया था जिन्हें इसी पावर प्लांट के लिए इस्तेमाल में लाया जाना है। कोयला ब्लॉक आवंटन के चर्चित मुद्दे पर दैनिक भास्कर की रिपोर्टिंग पर गौर करे तो ये साफ लगेगा कि उस दौर में भास्कर ने बेहद चयनित होकर और भरपूर सावधानी से पूरे मसले को अपने पन्नों में जगह दी। कोयला ब्लॉक मामले में दैनिक भास्कर (जोकि छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला अखबार है) के अलावा महाराष्ट्र में सबसे ज़्यादा पढ़ा जाने वाला लोकमत समूह भी शामिल था। [10] महाराष्ट्र में मनोज जायसवाल के साथ मिलकर राजेंद्र दर्डा और उनके भाई, कांग्रेस सांसद एवं लोकमत मीडिया समूह के मालिक विजय दर्डा ने जस इन्फ्रास्ट्रक्चर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड में दांव खेला था।
मामले की तहकीकात के दौरान सीबीआई ने विजय दर्डा के बेटे देवेन्द्र दर्डा से भी पूछ-ताछ की थी। इसके अलावा प्रभात खबर की फादर कंपनी ऊषा मार्टिन को भी कोयले का पट्टा हासिल हुआ था। [11] इन तीनों अखबारों में कोयला ब्लॉक आवंटन मुद्दे की रिपोर्टिंग अपने हितों को सुरक्षित रखते हुए दूसरी (प्रतिद्वंद्वी) कंपनियों पर निशाना साधने की कोशिश ज्यादा साफ दिखती है। कहने का मतलब ये कि ऐसी मीडिया कंपनियां जो दूसरे धंधों में उतरी हुई हैं वे उन्हें वैधता देने के लिए अपने मीडिया मंच का इस्तेमाल करती हैं।
छत्तीसगढ़ को फोकस स्टेट रखने के तुरंत बाद दैनिक भास्कर समूह की कंपनी डीबी पावर ने वहां पर प्लांट बनाया और यह महज संयोग नहीं है कि मध्य प्रदेश में जब इस समय डीबी पावर (डिलीजेंट पावर) 1,320 मेगावाट का बिजली संयंत्र लगाने की योजना पर काम कर रही है तो 'पावर कॉनक्लेव' में फोकस स्टेट मध्य प्रदेश है। [12] जाहिर है फोकस स्टेट के चुनाव में दैनिक भास्कर अपनी सिस्टर कंपनियों की हित को ध्यान में रखकर कॉनक्लेव का आयोजन करता है। लेकिन यह हित पाठकों के सामने उजागर न हो इसके लिए पूरी रिपोर्टिंग में कहीं भी भास्कर यह तथ्य जाहिर नहीं करता कि तापीय ऊर्जा के साथ उसके आर्थिक हित नत्थी हैं।
छत्तीसगढ़ में अपनी सिस्टर कंपनी डीबी पावर के काम शुरू करने के बाद छत्तीसगढ़ की ऊर्जा जरूरतों पर जब दैनिक भास्कर बात कर रहा था तो जाहिर है कि उसमें अधिकाधिक तापीय ऊर्जा निर्माण पर ही जोर दिया जा रहा था। राज्य के जांजगीर-चांपा जिले के प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण के दौरान कंपनी को स्थानीय स्तर पर बहुतेरे विरोध-प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा लेकिन राज्य में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले इस अखबार से वो खबरें नदारद रहीं। [13] डभरा विकासखंड के तहत आने वाले गांव टुण्ड्री के स्थानीय लोगों ने भास्कर से रवैये पर काफी ऐतराज जताया था। अगर किसी कंपनी के पास कोई अखबार हो तो जाहिर है उसे अपने खिलाफ दिखने वालीं खबरें दबाने में काफी सहूलियत होती है।
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पावर प्लांट के लिए विकसित किया जा रहा जलाशय |
व्यावसायिक चिकनाई को बरकरार रखने की राह में यह काफी मददगार साबित होते हैं। यही कारण है कि जब छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में डीबी पावर प्राइवेट लिमिटेड को नौ करोड़ 16 लाख टन क्षमता वाला कोयला ब्लॉक मिला और अपनी बिजली परियोजना पर इसने काम करना शुरू किया उसी के आस-पास दैनिक भास्कर का रायगढ़ संस्करण भी लॉन्च किया गया। [14] दैनिक भास्कर अब मध्य भारत के खनिज प्रधान हर राज्य में प्रमुखता से फैल रहा है। झारखंड में बेहद आक्रामता से इसने बाजार पर कब्जा किया और खनन में संलग्न एक दूसरी कंपनी ऊषा मार्टिन के अखबार प्रभात खबर के जमे-जमाए पाठक वर्ग को लुभावने सब्सक्रिप्सन ऑफर से झकझोर दिया।
छत्तीसगढ़ में मीडिया का यह तेवर महज भास्कर के मामले तक महदूद नहीं है बल्कि राज्य के दूसरे सबसे बड़े अखबार हरिभूमि की फादर कंपनी आर्यन कोल बेनीफिशिएशन है जो एक ट्रांसपोर्ट कंपनी और 30 मेगावाट क्षमता वाला एक पावर प्लांट चलाती है। [15] यानी खनन, रियल एस्टेट, बिजली उत्पादन जैसे क्षेत्रों की कंपनियां या तो मीडिया की तरफ रुख कर रही हैं या फिर मीडिया की कंपनियां इन क्षेत्रों की तरफ। जाहिर है अगर कोई ठोस आर्थिक मुनाफे का मामला नहीं होता तो यह चलना इतना आम नहीं होता।
दैनिक भास्कर इन दिनों जेपी मॉर्गन, आईडीएफसी और कार्लाइल समेत कई प्राइवेट इक्विटी कंपनियों से बातचीत कर रही है ताकि वो साल के अंत तक मध्य प्रदेश में बिजली संयत्र शुरू करने के लिए 800 करोड़ रुपए का फंड जमा कर सके। [16] इसी तरह पहले पावर कॉनक्लेव के बाद भास्कर ने 2011 में वारबर्ग पिनकस से पैसे जमा कर जांजगीर-चांपा में बिजली संयंत्र की शुरुआत की। [17] मध्य प्रदेश में डीबी पावर अपने विस्तार की नई संभावना तलाश रहा है और अपने मुताबिक नीति के लिए बेहद जरूरी है कि वहां के हुक्मरान तक अपने दस्तावेज पहुंचाए। 28 मार्च को नई दिल्ली में जो कार्यक्रम हुआ उसकी रिपोर्टिंग में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को दैनिक भास्कर ने आधी जगह दी। पहले पेज पर दो कॉलम की खबर में एक कॉलम और पृष्ठ संख्या आठ पर पांच कॉलम की खबर में दो कॉलम शिवराज सिंह चौहान के वक्तव्य पर आधारित हैं। [18]
संयोग से इंडियन रीडरशिप सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद इसी दिन (29 मार्च को) दैनिक भास्कर ने पाठकों को ये भी सूचना दी कि भास्कर समूह देश का सबसे बड़ा अखबार समूह है। जाहिर है इस समय 13 राज्यों में समूह के 65 संस्करण अलग-अलग चार भाषाओं में निकल रहे हैं। लेकिन देश का सबसे बड़ा अखबार समूह अपने व्यवसाय की जानकारी देने में पाठकों से बच रहा है तो इसकी वजह शायद अब भी यही है कि पाठक पत्रकारिता को पवित्र और मिशनरी धंधा मानने के मुगालते में जीवित है। वाक्यों के बीच में पढ़ना अभी तक ठीक-ठीक तरीके से देश के पाठकों को आया नहीं है। जॉन पिल्गर ने अपने एक लेख में जिक्र किया कि स्टालिन के शासन के दौरान 1970 के दशक में वो चेकोस्लोवाकिया में एक फिल्म बना रहे थे जिसमें उस शासन से असंतुष्ट गुट के एक व्यक्ति और उपन्यासकार जेनर उर्बानेक ने जॉन को बताया कि वो देश के किसी भी मीडिया कंटेंट पर [आंख मूंदकर] भरोसा नहीं करते, बल्कि खबर पढ़ने के बाद उसके पंक्तियों के बीच छुपी असलियत को भांपने की कोशिश करते हैं। [19] भारत में भी मीडिया मालिकाना की संरचना और उसकी कार्यशैली को देखते हुए हर पाठक को अपने भीतर यह गुण विकसित करने की कोशिश शुरू कर देनी चाहिए।
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छत्तीसगढ़ में दैनिक भास्कर समूह का तैयार पावर प्लांट |
दैनिक भास्कर के लिए रायगढ़ में संस्करण निकालना इसलिए जरूरी हो गया था क्योंकि छत्तीसगढ़ के सबसे पिछड़े जिलों में से एक जांजगीर-चांपा में 6,640 करोड़ रुपए की लागत वाले पावर प्लांट के लिए हर साल 52 लाख 29 हजार टन कोयले की जरूरत थी और डीबी पावर को मांड-रायगढ़ कोल ब्लॉक से 20 लाख टन प्रति साल कोयला निकालने का पट्टा हासिल हुआ। [20] मामले का न सिर्फ स्थानीय स्तर पर विरोध हुआ था बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी आवाजें गूंजी लेकिन अखबार के पन्ने इससे अनभिज्ञ रहे। जांजगीर-चांपा में संयंत्र के लिए कंपनी को 1,077 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करना था जो काम लगातार विरोध के बावजूद लगभग पूरा हो चुका है। [21] राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा कि जांजगीर-चांपा में बिजली संयंत्र बनने से वहां के फसलों की पैदावार नष्ट हो जाएगी। [22] जाहिर है भास्कर के लिए ऐसे बातों का काट प्रस्तुत करना जरूरी हो चला था। लिहाजा दैनिक भास्कर में इस तरह की खबरें लगातार छपी कि बिजली संयंत्र बनने से उस इलाके का कायाकल्प हो जाएगा!
मुख्य व्यवसाय के तौर पर यह समूह अभी भी मीडिया को आगे रख रहा है लेकिन दैनिक भास्कर समूह बिजली उत्पादन, कपड़ा उद्योग, अयस्क निष्कर्षण, खाद्य तेल रिफाइनिंग और रियल एस्टेट में भी उतरा हुआ है। [23] समूह की मुख्य कंपनी डीबी कॉर्प जोकि मीडिया की अगुवाई कर रही है उसका कुल राजस्व 1,246 करोड़ रुपए का है लेकिन इक्विटी के साथ मिलाकर डीबी पावर का राजस्व 6,640 करोड़ रुपए का है। [24] आप खुद समझ सकते हैं कि ज्यादा बड़ा आर्थिक हित कहां जुड़ा हुआ है। धीरे-धीरे कौन कंपनी सहायक बनती जा रही है और कौन सी प्रमुख। भास्कर समूह का लक्ष्य है कि 2017 तक वो अपने बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 5,000 मेगावाट कर ले। [25]
दिलचस्प ये है कि वो सिर्फ दो राज्यों की संभावना के आधार पर यह दावा कर रहा है। देश में फिलहाल बिजली उत्पादन में सबसे ज्यादा 53.7 प्रतिशत भागीदारी तापीय ऊर्जा क्षेत्र का है जो इस समय 167.3 गीगावाट से ज्यादा बिजली पैदा कर रही है। [26] भास्कर समूह इसमें बेहतर भविष्य देखते हुए निवेश कर रहा है और इस निवेश को वैचारिक मजबूती और वैधता देने के लिए अपने मीडिया उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा है।
बहरहाल सवाल ये है कि दैनिक भास्कर अगर बिजली में निवेश कर भी रहा है तो आपत्ति की वजह क्या है? आपत्ति इसलिए है क्योंकि भास्कर ने जिस मुद्दे पर कॉनक्लेव आयोजित किया और जिस राज्य को उसने 'फोकस स्टेट' घोषित किया वहां पर कंपनी के ऊंचे आर्थिक हित दांव पर लगे हुए हैं लेकिन अखबार ने भाग लेने वाली बाकी सारी कंपनियों का जिक्र किया लेकिन खबर में अपनी कंपनी डीबी पावर या डिलीजेंट पावर का कहीं नाम तक नहीं आने दिया। यानी भास्कर समूह पाठकों को यह नहीं बताना चाहता कि कार्यक्रम के आयोजन के जरिए वो राज्य पर एक खास तरह का दबाव बनाना चाहता है कि ताकि उसके आर्थिक सड़क पर दौड़ने वाली गाड़ी की रफ्तार तेज हो जाए। दूसरी वजह यह हो सकती है कि पावर, टाऊनशिप, खनन या फिर रियल एस्टेट से जुड़े किसी भी धंधे के साथ दाग की एक ऐसी मुहर पिछले कई सालों से छप चुकी है कि सामान्य लोगों के जेहन में एकबारगी यहीं बात कौंधती है कि हेर-फेर से ही कंपनी ने कुछ किया होगा! भास्कर समूह पाठकों के बीच इस संतुलन को बनाए में लगातार सफल हो रहा है इसलिए अपनी पाठक संख्या में हर साल कुछ आंकड़े वो जोड़ ले जाता है। [27]
डीबी कॉर्प प्राइवेट लिमिटेड (मीडिया समूह) ने 2011-12 में 202 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया। [28] दिसंबर 2009 की स्थिति के मुताबिक देश में इस कंपनी के कुल 58,787 शेयरधारक हैं जो दिन-रात कंपनी की तरक्की में अपनी तरक्की की आस लगाए बैठे रहते होंगे। [29] इन आधे लाख से ज्यादा लोगों में दैनिक भास्कर के जितने भी पाठक होंगे उन्हें अखबार के कंटेंट की राजनीति और अर्थव्यवस्था से ज्यादा मतलब होगा कि इस समूह की कोई भी कंपनी कुलांचे मारकर आगे बढ़े ताकि उसके असर से डीबी कॉर्प के शेयर में उछाल आ सके और उसके असर तले शेयरधारकों की जेब का वजन कुछ बढ़ पाए। डीबी कॉर्प के 18 करोड़ 15 लाख शेयर में ही पत्रकारिता का सबकुछ छुपा है। [30] इसलिए दैनिक भास्कर को समझने के लिए उसके पन्नों के बराबर ही दलाल स्ट्रीट पर भी नजर रखने की जरूरत है।
पुनश्च-
दैनिक भास्कर ने 30 मार्च को पावर विजन नाम से आठ पेज का अलग से सप्लिमेंट जारी किया जिसमें देश और खासकर मध्य प्रदेश की ऊर्जा जरूरतों को कैसे मिटाया जाए उसकी रूपरेखा खींची गई थी।
संदर्भ
1. क्रॉस मीडिया ओनरशिप दो तरह के होते हैं। पहला, जब एक ही कंपनी अखबार, पत्रिका, रेडियो या फिर टीवी में से एकाधिक पर मालिकाना दिखाए तो वो वर्टिकल क्रॉस मीडिया ओनरशिप है। दूसरा, जब एक मीडिया कंपनी मीडिया से बाहर के क्षेत्र में निवेश कर मालिकाना हक हासिल करे। ये होरिजोंटल क्रॉस मीडिया ओनरशिप कहलाता है। अमेरिका सहित यूरोप के ज्यादातर देशों में इस पर पाबंदी है।
2. दैनिक जागरण अखबार निकालने वाले दैनिक जागरण प्राइवेट लिमिटेड का सहारणपुर में चीनी का व्यवसाय है।
3. दैनिक भास्कर का ऊर्जा उत्पादन और तेल का व्यवसाय भी है।
4. आर्यन कोल बेनीफिशिएशन कंपनी ने जैसे हरिभूमि अखबार शुरू कर दिया। देश में ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं।
5. दैनिक भास्कर, 29 मार्च 2013, राष्ट्रीय संस्करण,
6. भास्कर में इससे जुड़ी खबरें 24, 25 और 27 मार्च को छपीं।
7. चूंकि बाद की खबरों में कुछ भी नई घोषणा या फिर विस्तृत जानकारी नहीं दी गईं इसलिए एक ऐसे आयोजन की खबर जो आने वाले दिनों में होने जा रहा हो, बिना किसी नए अपडेट के बार-बार नहीं छापी जा सकती।
8. दैनिक भास्कर, 27-03-2013, राष्ट्रीय संस्करण
9. http://diliigentpower.com/html/aboutus.html
10. कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट। इंडियन एक्सप्रेस की स्टोरी- http://www.indianexpress.com/news/coalgate-cbi-grills-amrs-arvind-jayaswal/1003757
11. कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट। और देखें- http://www.hindustantimes.com/business-news/CorporateNews/DB-Power-may-lose-coal-block/Article1-922146.aspx
12. दैनिक भास्कर इस प्लांट को लेकर लगातार कोशिश कर रहा है और कई निजी इक्विटी कंपनियों से बात कर रहा है। इकनॉमिक टाइम्स ने इस पर कई स्टोरी की। यहां देखें- http://articles.economictimes.indiatimes.com/2013-02-06/news/36949657_1_power-projects-pe-investors-chhattisgarh-project
13. आशीष खेतान, लूट की छूट, तहलका, 03.10.2013 वेब लिंक- http://www.tehelkahindi.com/rajyavar/%E0%A4%9B%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%B8%E0%A4%97%E0%A4%A2%E0%A4%BC/1432.html
14. Dainik Bhaskar: First newspaper printed at Raigarh; Chhattisgarh. वेब लिंक- http://www.dainikbhaskargroup.com/archives.php
15. http://www.edelweissfin.com/Portals/0/Documents/Investment_banking/part1_ACB_INDIA_LIMITED_31stMay.pdf
16. देखें- इकनॉमिक टाइम्स। वेब लिंक- http://articles.economictimes.indiatimes.com/2013-02-06/news/36949657_1_power-projects-pe-investors-chhattisgarh-project
17. वही
18. दैनिक भास्कर, 29 मार्च 2013, राष्ट्रीय संस्करण
19. John Pilger, War by Media, वेब लिंक- http://www.informationclearinghouse.info/article13629.htm
20. केयर रेटिंग्स (CARE Ratings) की डीबी पावर पर रिपोर्ट। वेब लिंक - http://www.careratings.com/Portals/0/CareAdmin/CompanyFiles/RR/DB%20Power%20Limited-06202011.pdf
21. वही और आशीष खेतान, लूट की छूट, तहलका, 03.10.2013
22. आशीष खेतान, लूट की छूट, तहलका, 03.10.2013
23. केयर रेटिंग्स की डी बी पावर पर रिपोर्ट। वेब लिंक- http://www.careratings.com/Portals/0/CareAdmin/CompanyFiles/RR/DB%20Power%20Limited-06202011.pdf और डीबी पावर विजन का आधिकारिक पेज - http://dbpowervision.com/about
24. डी बी कॉर्प का फायनेंसियल हाइलाइट्स के तहत कंपनी का कुल मूल्य वित्त वर्ष 2011-12 में 1,246 करोड़ रुपए का था। केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ के पावर प्लांट के लिए डीबी पावर प्राइवेट लिमिटेड ने इक्विटी कंपनियों की मदद से 6,640 करोड़ रुपए लगाए।
25. http://diliigentpower.com/html/mission.html
26. केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट।
27. आईआरएस रिपोर्ट के मुताबिक भास्कर को 2012 की चौथी तिमाही में पढ़ने वाले लोगों की संख्या 1 करोड़ 44 लाख है।
28. Statement of consolidated unaudited results of the quarter and nine months ended December 31, 2012
29. 31 दिसंबर 2009 तक की स्थिति के मुताबिक। Share holding patterns. वेब लिंक- http://investor.bhaskarnet.com/pages/shares.php?id=3
30. वही।