03 मई 2007

बच्चे तुम अपने घर जाओ

बच्चे तुम अपने घर जाओ
घर कहीं नहीं है
तो वापस कोख में जाओ
माँ कहीं नहीं है
पिता के वीर्य मे जाओ
पिता कहीं नहीं है
तो माँ के गर्भ में जाओ
गर्भ का अंडा बंजर
तो मुन्ना झर जाओ तुम
उसकी माहवारी में
जाती है जैसे उसकी
इच्छा संडास के नीचे
वैसे तुम भी जाओ
लड़की को मुक्त करो अब
बच्चे तुम अपने घर जाओं
गगन गिल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें