17 अप्रैल 2007
अपनी बात
कितनें दिनों से रात आ रही है
जा रही है धरती पर
फिर भी इसे
देखना
इसमें होना एक अनोखा काम लगता है
मतलब कि मैं
अपनी बात कर रहा हू......
- आलोकधन्वा
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