09 अगस्त 2008

समाजवाद का भविष्य-५वीं पोस्टिंग

क्रांति अभी पूरी नहीं हुई है. वर्गों के बीच, शोषित और शोषकों के बीच, नये और पुराने सामाजिक ढाँचे के बीच मूलभूत तनाव इसलिए नहीं ख़त्म हो जायेंगे कि सोवियत संघ खतम हो गया और फ़ूकोयामा ने उद्‍घोषणा किया है कि 'इतिहास का अंत' हो गया. बीसवीं सदी की क्रंतियों में गतिशीलता तथा ताकत पैदा करने वाली ताकतें, जिस तरह पहले थीं आज भी हैं. 'ऐतिहासिक कम्युनिज़्म' के अंत से गरीबी अथवा न्याय के लिए लोगों की तड़प का अंत नहीं हुआ है. तीसरी दुनिया के गरीब तथा वंचित लोग अभी भी बेहतर जीवन की उम्मीद रखते हैं. अतीत या भविष्‍य में क्रांतियों के बारे में किसी अतिउत्साह के बगैर फ़्रेड हालिडे ने अपने हाल ही के अध्ययन में बताया है कि 'सत्ताधारी और धनी लोगों द्वारा अपने खिलाफ नफ़रत तथा इतिहास की क्षमता को पूरी तरह से समझने की लगातार अक्षमता बेहद आश्‍चर्यजनक है'. उन्होंने लिखा है कि "आधुनिक इतिहास में क्रांति का एजेंडा अभी भी हमारे साथ है क्योंकि जो उद्देश्य रखे गये थे वह अभी भी पहुँच से बहुत दूर हैं, यह अभी भी क्रांति को इतिहास के एजेंडे में रखे हुए है. क्रांति अभी भी ध्रुव सत्य है, हमारे समय की अधूरी कहानी-यह कहानी चाहे जिस आकार अथवा रूप मे हो और चाहे जितना भी लंबा समय लगे, यह कहानी पूरी कही जायेगी......
यह कहानी पहले भी दुनिया की क्रांतिकारी प्रक्रियाओं में कही गयी है और सोवियत संघ में असफल प्रयोग के फलस्वरूप प्रारंभिक धक्कों के बाद, समाजवाद मनुष्यता की जरूरत तथा संभावित भविष्य के रूप में दुबारा स्थापित हो रहा है. जैसे कि बोलिवियाई अपनी क्रांति की रक्षा के लिए अमरीकन साम्राज्यवादियों तथा इसके स्थानीय सहयोगियों द्वार संसदेतर प्रतिबंधों के षड्‍यंत्र के खिलाफ संघर्ष में मजबूती से डंटे हैं, वेनेजुलियाई '२१वी सदी में समाजवाद' के निर्माण की बात कर रहे हैं तथा क्युबा से प्रेरित होकर पूरे लैटिन अमरीका में 'गुलाबी' की जगह 'लाल' के आ जाने का खतरा महसूस हो रहा है. नेपाल में जनयुद्ध के लिए लड़ रहे तथा अब लोकतंत्र के युद्ध को जीतने के लिए संघर्षरत माओवादी 'समाजवाद की ओर ले जाने वाले' आत्मनिर्भर विकास की बात कर रहे हैं. पश्चिम में वैश्वीकरण के विरुद्ध संघर्ष और गहरा रहा है जैसा कि 'न्यू यार्कर' ने 'इसे कार्ल मार्क्स की वापसी' लिखा है तथा यूरोप में समाजवाद के नए प्रयोग की बात सुनी जा रही है. कभी भी संकीर्ण वर्गीय प्रोजेक्‍ट में न रहने वाला समाजवाद आज, जैसा कि पहले कभी नहीं था, कम्युनिस्ट घोषणापत्र में किए गए मार्क्स के दावे के अनुसार 'व्यापक लोगों के हित में व्यापक आंदोलन' के रूप में मजबूती से खडा़ है.
पूर्वी यूरोप तथा सोवियत संघ के विघटन ने कई विद्वानों, पत्रकारों, राजनेताओं, तमाम तरह के विचारकों तथा लेखकों को आसान खेल खेलने का खुला मौका दे दिया है। अगर समाजवाद परास्त हो गया तो इसका प्रतिद्वंदी पूंजीवाद जीत गया। योजनाबद्ध समाजवादी अर्थव्यवस्थायें अगर टूट बिखर गईं तो उसका धुर विरोधी, मुक्‍त बाजार आधारित पूंजीवाद जरूर विजयी हुआ है। इस तरह के पूरे अपचयनवादी तथा खतरनाक तथा बिल्कुल ही संदेहपूर्ण तर्क, जो सोवियत संघ में जो कुछ हुआ उसे ही समाजवाद के बराबर मानते हैं तथा इसकी असफलता को पूंजीवाद के विजय से जोड़ते हैं, न सिर्फ़ कमजोर हैं बल्कि व्यवहारिकता के धरातल पर बिल्कुल गलत हैं. किसी वस्तुगत मूल्यांकन से स्पष्ट है कि पांच सदियों के पुराने आस्तित्व के अंत तक वैश्विक पूंजीवाद आज सबसे पतित व्यवस्था है. इस पतन के प्रमाण, समकालीन पूंजीवादी विश्‍व के प्रत्येक भाग तथा प्रत्येक पहलू में बिल्कुल आसानी से देखने को मिल रहे हैं. दुनिया में हर जगह बढ़ रही दरिद्रता और दुर्दशा में यह लक्षण देखे जा सकते हैं, बढ़ती बेरोजगारी दर के आधिकारिक आंकड़ों, गरीबी, बेघरपना तथा भूख में, पश्‍चिमी बुर्जुवा लोकतंत्रों के बडे़ शहरों की नारकीय झोपड़पट्टियों में, भूतपूर्व सोवियत खण्‍डों की फुदकी राजधनियों में शहरी घेट्टों की विशाल बढ़ोत्तरी में तथा दक्षिणी क्षेत्रों में व्यापक तौर पर झोपड़पट्टियों की संकीर्ण गलियों के अचानक ढहाए जाने में; दुनिया की संपूर्ण असमानताओं में, निर्धनों की दरिद्रता में तथा धनी पश्‍चिमी समाजों और गरीब देशों की व्यापक जनता की बदहाली के बीच बढ़ती खाई में; पूंजीवाद द्वारा हर जगह पैदा की गई नैतिक रुप ने असहनीय तथा सामाजिक रूप से गैरजरूरी पीडा़ में, जिसे बोर्दिये ने- ला मिज़रे द मोंद कहा है......... जारी

1 टिप्पणी:

  1. चन्द्रिका जी,
    आप द्वारा बतायी गयी लिंक को अद्यतन (अपडेट) कर दिया हूँ। चला कर देखिये।

    yaa, siidhe yahaan jaaiye:


    Unicode-to-Krutidev010 converter05
    http://technical-hindi.googlegroups.com/web/Unicode-to-krutidev010+converter05.htm?gda=jrqWKlgAAACvU6A81ce-VK-7mMsEVyXzn0H4aNSO1k4L8_jiRKAPPlFpn2p4dqFyrBv_aLL4HyMGsoK730gK0BvsdXSMEmptQSUx-b5VnCskJ7iVMxldMBo1YHcDYvgcK1MwRk9oTs4

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