04 सितंबर 2007

बाजार का राजा मध्यम वर्ग:-


भारत में एक बहुत बड़ा मध्यम वर्ग है,इसलिये भारत एक बड़ा बाजार भी है|साथ में विज्ञापन ने लोगों की आवश्यकताओं को खत्म कर इच्छाओं को बढा़वा दिया है ...एसे में बाजार को किस तरह से मध्यम वर्ग पोशित कर रहा है एक रिपोर्ट कुछ आंकणों के साथ.....
भारतीय मध्यम वर्ग की धाक दुनियाभर में जमने लगी है। आज विदेशी कंपनियाँ भी अपने उत्पाद भारत के मध्यम वर्ग को ध्यान में रखकर तैयार कर रही है। चाहे घर का सपना हो या कार का, सब कुछ मध्यम वर्ग की पहुँच में आता जा रहा है। देश का यही ऐसा वर्ग हैजो अपने आप को टीप-टॉप रखने से लेकर खाने-पीने और स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रहा है। बेशक आने वाले दो-तीन वर्षों में भारत में सबसे मजबूत होगा तो सिर्फ मध्यम वर्ग।

नेशनल काउंसिल फॉर एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) द्वारा दो साल पहले देश में घरेलू वस्तुओं के बाजार और मध्यम वर्ग पर किए गए सर्वे (माकेoट इंफारमेशन सर्वे ऑफ हाउसहोल्ड) में भी स्पष्ट रूप से बताया गया है मध्यम वर्ग ही देश पर राज करेगा और इसी से अर्थव्यवस्था का नाप-जोख तय होगा।

कारों का सबसे बड़ा खरीददार : मध्यम वर्ग के हाथ भी अब स्कूटर या बाइक के हैंडल से संतुष्ट नहीं होते, उन्हें कार का स्टियरिंग ही लुभाने लगा है। उच्च मध्यम वर्ग की बात छोड़ दें तो निम्न मध्यम वर्ग की चाहत में कार भी शुमार हो गई है। इसीलिए इस वर्ग को ध्यान में रखकर बनाई जा रही टाटा समूह की लखटकिया कार जल्द ही सड़कों पर दौड़ती नजर आएगी। एनसीएईआर के आँंकड़ों पर गौर करें तो देश में वर्ष 2005-06 के दौरान जहाँ कारों के उपभोक्ता 15,60,000 थे वहीं 2009-10 में यह दोगुने से भी ज्यादा यानी 34,66,000 हो जाएँगे। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह वर्ग कितनी तेजी से बाजार पर छाने वाला है। अन्य उपभोक्ता वस्तु जैसे मोटरसाइकल, कलर टीवी, रेफ्रिजरेटर, वािश्ांग मशीन की माँग भी आगामी तीन वर्षों में दो से तीन गुना तक बढ़ जाएगी।

सेहत की चिंता
एनसीएईआर का सर्वे कहता है कि आने वाले वर्षों में मध्यम वर्ग जहाँ अपनी सेहत को लेकर ज्यादा फिक्रमंद होगा, वहीं खुद को टीप-टॉप रखने और बनने-संवरने में ®बदास होकर खर्च भी करेगा। सेहत की ओर ध्यान जाने के कारण खाद्य तेलों की खपत का ग्राफ वर्ष 2001-02 के मुकाबले 2009-10 में पाँंच प्रतिशत तक कम हो जाएगी। बात यदि लुक की करें तो सौंदर्य प्रसाधन जैसे क्रीम, पाउडर की खपत भी तीन गुना तक बढ़ जाएगी।

ग्रामीण मध्यम वर्ग का फैलता दायरा : खरीददारी के मामले में अब सिर्फ शहरी मध्यम वर्ग ही नहीं ग्रामीण मध्यम वर्ग भी सिक्का जमाने लगा है। आज से 11 साल पहले 1996 में जहाँ गाँंवों में मात्र 2.1 प्रतिशत लोग ही कार के मालिक हुआ करते थे, वहीं 2002 में यह आँकड़ा आठफीसदी तक पहुँच गया और 2009-10 में यह 10 प्रतिशत को पार कर जाएगा। इसका असर निश्चित ही दो पहिया वाहनों की बिक्री पर पड़ेगा। स्कूटर की बिक्री गाँंवों में पाँच साल पहले जो थी वह आगामी तीन सालों में भी वही रहेगी, जबकि बाइक की बिक्री 10 फीसदी तक बढ़जाएगी।

दोगुनी होगी माँग
वस्तु...................2005-06...................2009-10

कार...................1560...................3466

मोटरसाइकल...................4663...................8369

कलर टीवी...................6295...................9957

रेफ्रिजरेटर...................4335...................6774

अन्य इलेक्टि[क...................8727...................13149

उत्पाद......................................(सभी आँकड़े हजार में)

खाद्य तेल...................... 8514......................10586

शैंपू......................33......................50

वाशिंग पाउडर......................2596......................3364

........................................(सभी आँकड़े हजार टन में)
नई दुनियाँ से साभार-

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