रमा कँवर: 'इज्ज़त'
के नाम हुआ हत्याकांड
डूंगरपुर जिले के आसपुर तहसील के पचलासा छोटा गाँव की
रिपोर्ट
द्वारा पीयूसीएल तथ्यान्वेषण दल
तारीख : 12 मार्च 2016
राजस्थान
के डूंगरपुर जिले के आसपुर तहसील के गाँव पचलासा छोटा में 4 मार्च 2016, शुक्रवार की रात, रमा कँवर नाम की युवा महिला को
गाँव के चौराहे पर उसके भाइयों तथा अन्य लोगों द्वारा केरोसिन डालकर जलाकर मार
डालने और फिर रातोरात शमशान में अंतिम क्रिया किए जाने की खबर 6 मार्च 2016 को
स्थानीय अखबारों में पढ़कर हम स्तब्ध हो गए. अखबारों से ज्ञात हुआ कि यह मामला मृतक
रमा कँवर पिता विजयसिंह व प्रकाश पुत्र कचरू सेवक के 2007 में हुए अंतरजातीय विवाह
से हुए विवाद से जुडा है. आसपुर के पुलिस थाना क्षेत्र में हुई इस घटना घटने के
बाद पुलिस ने उसी रात गाँव पहुँचकर मृतका की सास कलावती की रीपोर्ट के आधार पर
मामला दर्ज करवाया व कारवाही शुरू की. इस मामले में आसपुर पुलिस ने पचलासा निवासी
लक्ष्मणसिंह पुत्र विजयसिंह, प्रवीणसिंह पुत्र वीरसिंह,
कल्याणसिंह पुत्र गौतमसिंह, इश्वरसिंह पुत्र
हमीरसिंह, महेंद्रसिंह पुत्र तखतसिंह , भूपालसिंह पुत्र विजयसिंह, गजेन्द्रसिंह उर्फ़ गजराज
सिंह पुत्र किशोरीसिंह को गिरफ्तार किया. लगभग 35लोगों को नामज़द किया गया. इस
रिपोर्ट के बनने तक 14 लोगों की गिरफ्तारियां हो चुकी है जो इस प्रकार है: लक्षमण
सिंह पुत्र विजयसिंह, प्रवीणसिंह पुत्र वीरसिंह, कल्याणसिंह पुत्र गौतमसिंह, इश्वरसिंह पुत्र
हमीरसिंह, महेंद्रसिंह पुत्र तख्तसिंह, भोपालसिंह पुत्र किशोरसिंह, गजेन्द्रसिंह पुत्र
गज़राज सिंह, जयसिंह पुत्र नाहरसिंह, प्रतापकंवर
पत्नी वीरसिंह, मोतीकंवर पत्नी दलपतसिंह, दलपतसिंह पुत्र किशोरीसिंह, हमीरसिंह पुत्र
भवानीसिंह राजपूत. पुलिस ने आरोपित लोगों के खिलाफ निम्न धाराओं के तहत मामला दर्ज
किया है धारा 302(ह्त्या), 201 (साक्ष्य विलोपित करना),
364 ( ह्त्या की नियत से अपहरण), 458 (किसी को
मारने अथवा घायल करने अथवा चोट पहुंचाने अथवा जबरदस्ती रोककर रखने के उद्देश्य से
रात को किसी के घर में घुसना), 323 ( स्वेच्छा से किसी को
चोट पहुंचाना), 149 (unlawful assembly guilty of
offense committed in prosecution of common object), 147 (Negotiable
Instruments), 143 (unlawful assembly) तथा 120B (Concealing
Design to commit offense).
|
हम सभी इस पुरे मामले की क्रूरता को तथा राज्य तथा राष्ट्रीय महिला आयोग की इस प्रकरण में चुप्पी को देखकर स्तब्ध व क्षुब्ध हैं.
पीपुल्स यूनियन फॉर सीविल लिबर्टीज इस मानवाधिकार संगठन ने राजस्थान के
डूंगरपुर जिले के आसपुर तहसील के गाँव पचलासा छोटा में 4 मार्च 2016, शुक्रवार की रात, रमा कँवर को ज़िंदा जलाकर की गयी
ह्त्या का तथ्यान्वेषण कर यह रिपोर्ट तैयार की है. पीयूसीएल के तथ्यान्वेषी दल के
सदस्य इस प्रकार थे: धुली बाई, छगन बाई, कमलेश शर्मा, धर्मराज गुर्जर, हेमंत
खराड़ी, फेंसी, मधुलिका, कांतिलाल रोत, प्रज्ञा जोशी. तथ्यान्वेषी दल ने दो
चरणों में यानी 7 मार्च 2016 व 9 मार्च 2016 को क्रमशः पचलासा छोटा तथा सागवाड़ा
जाकर संबधित व्यक्तियों से मिलकर तथ्य जुटाने का प्रयास किया. यह दस्तावेज़ निम्न
सूत्रों के आधार पर तैयार किया गया है: इस दल ने कलावती पत्नी कचरू सेवक, भावना पत्नी जितेन्द्र सेवक, पचलासा छोटा वर्तमान
सरपंच जस्सू देवी मीणा, पूर्व सरपंच कालूभाई मीणा, नाहर सिंह (वर्तमान उपसरपंच तथा वार्ड 4 के वार्ड पञ्च ), दलपत सिंह, अमरसिंह (हेड कांस्टेबल, थाना आसपुर), रामलाल चंदेल (एएसपी, डूंगरपुर), लक्ष्मण डांगी (थानाधिकारी, आसपुर), ब्रजराज चारण (डि.वाय एस. पी., सागवाडा), डूंगरपुर
पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार जैन, पत्रकार, तथा पचलासा छोटा के अन्य
ग्रामीणों से इस मामले में प्रत्यक्ष की बातचीत, मोहनलाल
यादव (पटवारी) व गोवर्धन सिंह चौहान (ग्राम सचिव) से हुई वार्ता, मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट. दल ने जिन अन्य ग्रामीणों से बात की उनके नाम उन लोगों की सुरक्षा के मद्देनज़र नहीं दिए हैं.
पचलासा छोटा गाँव :
राजस्थान के डूंगरपुर जिले की आसपुर तहसील से 12 किमी स्थित पचलासा छोटा गाँव
लगभग6.5कि मी के दायरे में फैला है. यह लगभग 700 घरों की आबादी का गाँव है. इस
गाँव में सबसे अधिक घर राजपूत समुदाय के हैं जो कि 250 के करीब हैं, लगभग 150 घर आदिवासी समुदाय के हैं तो सेवक समुदाय के घर 30-40 हैं. गाँव में यादव, नाई,
प्रजापत, नाथ, पांचाल,
बुनकर, धोबी, मुस्लिम,
तथा जैन समुदाय रहते हैं. संख्या और सामाजिक तौर पर राजपूत समुदाय
का गाँव में वर्चस्व है. गाँव में सिसोदिया,
राठोड़, पंवर, तथा बोडना
इन कुलों के राजपूत हैं. स्थानीय सूत्रों से पता चला कि इन्हें वागड़ीया राजपूत कहा
जाता है. गाँव में विभिन्न गोत्रों के होने के कारण इस गाँव के ही परिवारों में
वैवाहिक संबंध स्थापित होने का चलन रहा है. इस गाँव के अधिकतर पुरुष आजीविका हेतु
बंबई और अहमदाबाद जैसे शहरों में रहते हैं.
रमा और प्रकाश की शादी की पारिवारिक व सामाजिक पूर्वपीठिका :
2007
में पचलासा छोटा गाँव के वार्ड क्रमांक 4 की निवासी रमा कँवर पुत्री
विजय सिंह सिसोदिया का विवाह गाँव के माधो सिंह के साथ हुआ परन्तु इस संबंध से
नाखुश हो कर रमा कँवर लगभग छ: महीने पश्चात अपने पैतृक परिवार के साथ रहने लगी. इस
दौरान पूर्व शादी के लगभग साल भर बाद रमा कँवर ने प्रकाश पुत्र कचरू सेवक जो उनके
पड़ोसी थे, से अपनी मर्जी से विवाह किया. कलावती पत्नी कचरू
सेवक के अनुसार दोनों ने कोर्ट में शादी कर ली और वे बंबई में रहने लग गए. विभिन्न स्त्रोतों से पता चला कि प्रकाश की भी शादी
पूर्व में हो चुकी थी. सागवाड़ा उपाधिक्षक ब्रजराज चारण ने बताया कि प्रकाश की पहली
पत्नी नाते चली गयी थी. इस तरह राजपूत समुदाय की रमा कँवर की शादी सेवक समुदाय के
प्रकाश से दोनों की परस्पर सम्मति से हुई थी. इस सबंध के कारण
राजपूत समुदाय में तीव्र प्रतिक्रया उठी. आज की तारीख में रमा कँवर के पूर्व पति
ने व प्रकाश सेवक की पूर्व पत्नी ने अपनी अपनी पृथक गृहस्थी बसा ली है व दोनों के
अपने अपने दांपत्य व बच्चे हैं. रमा कँवर का पूर्व पति अहमदाबाद या इंदौर में होने
के बारे में गाँव में जानकारी प्राप्त हुई. प्रकाश सेवक की पूर्व पत्नी के
वर्त्तमान स्थान के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं हो पायी. प्रकाश सेवक के परिवार
में उसके पिता कचरू सेवक, माँ कलावती सेवक के अलावा दो भाई जितेन्द्र
और
सुरेश थे व तीन बहनें थी. परन्तु कलावती जी के अनुसार प्रकाश इस विवाह के
बाद फिर कभी घर नहीं आया.
सामाजिक दबाव व बहिष्कार:
रमा कँवर व प्रकाश सेवक के विवाह के मसले को लेकर राजपूत समुदाय की बैठक
पचलासा छोटा गाँव के लक्ष्मी-नारायण मंदिर के सामने के चौक में हुई. गाँव में काफी
तनाव का माहौल था. पचलासा छोटा में राजपूत समुदाय के पारंपारिक पञ्च दलपत सिंह के अनुसार यह
52 गाँवों के चोखले (curcuit of caste panchaayat) की बैठक थी.
ज्ञात हो कि इस बैठक का स्थान व रमा कँवर को जिस स्थान पर ज़िंदा जलाया गया एक ही है. इस बैठक
के होने की पुष्टि तत्कालीन सरपंच कालू भाई मीणा तथा प्रकाश सेवक की माँ, कलावती सेवक ने भी की. इस बैठक में निम्न फरमान सुनाया गया था:
·इस बैठक ने रमा कँवर और प्रकाश सेवक को अपने समुदाय के बाहर के व्यक्ति से
विवाह दोषी माना.
·रमा कँवर तथा प्रकाश सेवक के गाँव में लौटने को प्रतिबंधित किया गया.
·इस बैठक ने गाँव के बाशिंदों को स्पष्ट निर्देश दिए कि संबधित परिवार को कोई
नमक तक नहीं देगा.
चोखले के फरमान की परिणति:
इस बैठक के पश्चात परिणाम यह हुआ कि इस
सेवक परिवार से उनके अपने समाज ने भी संबध तोड़ लिए. आज जब पुलिस कहती है कि सेवक
समुदाय से भी कोई इस परिवार के बारे में बोलने को तैयार नहीं है तो इस पृष्ठभूमि को देखना ज़रूरी हो जाता है. यह सामजिक दबाव रमा कँवर के पैतृक परिवार व
प्रकाश सेवक के पैतृक परिवार पर बीते 8 सालों से लगातार हावी रहा है. इसका परिणाम
यह रहा कि प्रकाश सेवक के पिता तथा दोनों भाइयों को आजीविका के लिए गाँव से पलायन
कर बाहर रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहा. परिवार को जब जमीन के लिए पूछा गया तो
कलावती जी ने बताया कि उनके पास मात्र वही ज़मीन है जिसमें उनका मकान बना हुआ है.
मकान के अलावा खेत के तौर पर नाम मात्र ज़मीन थी और दल ने पाया कि यह ज़मीन जोती हुई
नहीं थी. परिवार के पुरुष घर के बाहर रहते थे और कलावती जी अस्वास्थ्य के कारण
खेती के करने में अक्षम थी.
कलावती जी से बात करके पता चला कि यह
महिला सामाजिक दबाव का सामना करते हुए जीवनयापन करती रही. प्रकाश और रमा की शादी
के पश्चात उसके परिवार में एक के बाद एक विपत्तियाँ आती रही. पर सामाजिक दबाव के
चलते उसका बेटा प्रकाश कभी लौटकर नहीं आया. उन्होंने बताया कि उन्हें उनकी बेटी के
सन्दर्भ में भी राजपूत समाज के कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा दबाव इससे पूर्व बनाया
गया था. उनकी बेटी, पति के मृत्यु के बाद उनके साथ रह रही थी. उसने अपनी मर्जी से अपने समुदाय
के युवक के साथ संबंध बनाया पर गाँव के लोगों ने इस पर आपत्ति जताते हुए लड़की को
ज़िंदा जला देने को कहा. पर कलावती नहीं मानी. उसने कहा कि वैसे भी गाँव उसके साथ
संबंध तोड़ चुका है इससे बुरा और क्या हो सकता है. लड़की ने इस संबंध से भी बाहर आकर
फिर अपने समुदाय के युवक के साथ घर बसाया व आज उसके बच्चे भी है. कलावती व कचरू
सेवक का सबसे छोटे बेटे सुरेश की बंबई में टीबी से मौत हुई. उसकी अंतिम क्रिया
वहीं की गयी. हालांकि कलावती जी कहती हैं कि इन्फेक्शन फ़ैलने का अंदेशे के चलते
ऐसा किया गया पर यह सोचा जा सकता है कि
सामाजिक तौर पर बहिष्कृत परिवार गाँव के सहयोग के बिना बेटे का अंतिम संस्कार कैसे
करता. इस घटना के बाद कलावती जी के पति कचरू सेवक की भी मौत हुई. इस तनाव से वे
बीमार रहने लगे व कुछ समय बाद वे गुज़र गए. अब कलावती अपने बेटे जितेन्द्र की पत्नी
भावना के साथ रहती हैं. भावना व जितेन्द्र ने भी दो माह पूर्व कोर्ट में शादी की.
इन सभी मौकों पर प्रकाश परिवार के किसी भी कार्य में सहभागी नहीं हुआ या कहें कि
नहीं हो पाया.
जिस गाँव में लगभग 80 प्रतिशत घर दबंग
जाति के हो वहाँ सामजिक तौर पर उनकी हुकूमत को इस तरह के फरमानों से समझा जा सकता
है कि इस तरह के फरमान सामाजिक बहिष्कार को स्थापित करते हैं जो असंवैधानिक है और
अतः लोकंतंत्र की धज्जियां उड़ाते हैं.
रमा कँवर की ह्त्या:
पिछले लगभग 8 साल से अपने विवाह के बाद
रमा कँवर और प्रकाश दोनों ही अपने गाँव परिजनों से मिलने तक नहीं आए थे. उनके गाँव
में प्रवेश पर पाबंदी थी. ऐसी स्थितियों में 3 मार्च 2016 को रमा कँवर अपनी व
प्रकाश की बेटी (आयु 3 साल) को लेकर प्रकाश के बिना ही पचलासा छोटा आयी. रमा अपने
ससुराल यानी प्रकाश के घर गयी. कलावती व प्रकाश के छोटे भाई जितेन्द्र की पत्नी
भावना घर पर थे. कलावती जी ने बताया कि रमा के गाँव लौटने पर उन्हें डर था कि जिस
गाँव में वे प्रकाश-रमा के विवाहोपरांत से बहिष्कार झेल रही थी वह गाँव उन्हें रमा
के आने पर ज़िंदा नहीं रहने देगा. उन्होंने अपने डर को रमा से साझा किया तब रमा ने
उन्हें बताया कि उसके गाँव लौटने की सूचना उसके पीहर में थी. कलावती और भावना
दोनों के अनुसार रमा जब घर लौटी तब वह 4-5 महीने की गर्भवती थी. इन परिस्थितियों
में रमा का अचानक अपने गाँव अपने ससुराल में लौटना कई तरह के संदेह उत्पन्न करता
है. ऐसे में अब केवल प्रकाश ही इस पर कुछ रौशनी डाल सकता है. भावना ने बताया कि रमा अधिक सामान नहीं लेकर
आयी थी. उसके सामान में सब से अधिक सामान उसकी बेटी के कपडे थे.
4 मार्च को शाम के समय लगभग 7.30 बजे से 8.00
बजे तक बिजली अप्रत्याशित रूप से गायब रही. इसकी पुष्टि गाँव के विभिन्न बस्तियों
के बाशिंदों से हुई. कुछ लोगों का यह मानना था कि यह गाँव के दबंग लोगों द्वारा की
गयी हरकत थी. आम तौर पर गाँव में दहशत फैलाने के उद्देश्य से ऐसी हरकत की जाती है.
यह एक तरह से गाँव के लोगों को घर से बाहर न निकलने की दी गयी चेतावनी थी. कुछ
लोगों के अनुसार रमा के भाई और राजपूत समुदाय के लोगों ने अनौपचारिक बैठक इसी
दौरान की व घटना को अंजाम देने के लिए आवश्यक सामग्री जुटाई गयी. जब वे रात रमा के
ससुराल घुसे तो वे हिंसा की नीयत से ही घुसे थे.
'इज़्ज़त' बचाने के बाद गांव में पसरी शांति (फोटो- प्रज्ञा जोशी) |
ज्ञात हो कि रमा का पीहर और ससुराल के
मकाने लगभग आमने सामने हैं. गाँव के प्रमुख चौराहे के पीछे की गली में दोनों मकान स्थित है. ऐसे में रमा को खींचकर मारते हुए
भरे चौक में लाया गया व् उसके ऊपर केरोसीन डाल कर उसे ज़िंदा ज़लाया गया. ज़ाहिर है
इस दौरान रमा ने बचाव के लिए खूब आवाज़ लगाई होगी परन्तु उसका बचाव नहीं किया गया.
सार्वजनिक रूप से उसे जलाया गया. जिस स्थान पर उसके खिलाफ 52 गाँवों के चोखले ने
फरमान सुनाया था उसी चौक में उसे जलाया गया. किसी ने उसे नहीं बचाया. बड़ी तादात
में भीड़ होने के बावजूद रमा कँवर को बचाया नहीं जा सका यह ह्रदयविदारक
सत्य है. रात 8.30 से 9.00 के दरम्यान यह घटना हुई. रमा के जले
शरीर को शमशान ले जाकर उसका अंतिम संस्कार किया गया.
जवाबदेही किसकी?
रमा को जब सार्वजनिक तौर पर ज़िंदा जलाया
गया तो निश्चित रूप से बड़ी तादात में लोग उपस्थित थे पर आज बोलने के लिए कोई भी
तैयार नहीं है. जिस स्थान पर रमा को जलाया वहाँ ना केवल मंदिर, बाज़ार की दुकाने हैं वहीं पास में आंगनवाडी भी है. टीम के सदस्यों ने
ग्राम सचिव गोवर्धन सिंह चौहान तथा पटवारी मोहनलाल यादव से बात की परन्तु उनके
अनुसार वे उस समय गाँव में थे नहीं. गाँव की विभिन्न बस्तियों में हमें बताया गया
कि उन्हें अगले दिन सबेरे खबर मिली. घटनाक्रम को देखते हुए इसकी संभावना कम लगती
है कि इस घटना के दौरान गाव की प्रमुख बस्तियों में इसकी खबर ना चली हो. यह
सोचसमझकर साधी हुई चुप्पी है. ऐसे में जवाबदेही निर्धारित करना ज़रूरी है. पुलिस को
खबर देर से की गयी . पुलिस के अनुसार रात्रि देर
रात को लैंड लाईन फोन पर पचलासा छोटा में रमा कँवर को ज़िंदा ज़लाने की सूचना दी गयी
थी. उसके अनुसार उन्होंने मौक़ा मुआइना कर रिपोर्ट दर्ज कराई व तपतीश कर रमा के भाई तथा अन्य को गिरफ्तार किया. पुलिस
के अनुसार जब तक वे पहुंचे रमा का शव राख
में तब्दील हो चुका था.
पीयूसीएल के सवाल तथा मांगे:
·पुलिस प्रशासन ने अपनी सक्रिय तत्परता से कार्रवाई कर आरोपितों को गिरफ्तार कर
एक प्रशंसनीय पहल की है. अब आवश्यकता इस बात की है कि गाँव में छाये दहशत के माहौल
को दूर कर प्रशासन आम ग्रामवासी के मन में व्यवस्था के प्रति विश्वास को पुनर्बहाल
करे. इस विश्वास के अभाव में गवाह आगे नहीं आयेंगे और ऐसे में अपराधी आखिरकार छूट
जायेंगे. ऐसी किसी निर्मम घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके
लिए भी इस हत्या के दोषियों को समुचित दंड मिलना आवश्यक है. हमारी मांग है कि
सभी नामजद अभियुक्तों की अनिवार्य रूप से गिरफ्तारी हो और उन्हें सामान्य
परिश्तितियों में बेल न मिले.
·अगर यह परिवार सामजिक दबाव के डर से
पचलासा छोटा में पुनर्वासित होने में कतराए तो यह प्रशासन का अपयश होगा कि वह इस
परिवार के रिहाईश के अनुकूल वातावरण गाँव में तैयार करने में नाकाम रहा. ऐसे में
परिवार के इच्छा अनुरूप परिवार को घर उपलब्ध कराना प्रशासन की ज़िम्मेदारी है. पता
करने पर ज्ञात हुआ कि कलावती को विधवा
पेंशन मिल रही थी. उस परिवार का नाम गरीबीरेखा से नीचे की सूची में शामिल है
परन्तु सभी विकास योजनाओं का लाभ इस परिवार को मिले यह सुनिश्चित करना प्रशासन की
जिम्मेवारी है.
·रमा व प्रकाश की 3 वर्षीय बेटी नन्ही को पालनहार योजना के साथ जोड़ा जाए.
·सामजिक बहिष्कार का बीते 8 साल से सामना करनेवाली कलावती जी पर आज प्रकाश व्
रमा कँवर की बेटी के परवरिश की ज़िम्मेदारी आन पडी है. बीते समय में जो उनके
अधिकारों का हनन हुआ है उसे ध्यान में रखते हुए उन्हें 20 लाख रुपये का मुवावज़ा
दिया जाए. साथ ही नन्ही के परवरिश के हेतु 10 लाख रुपये प्रदान किए जाए.
·पीड़ित सेवक परिवार को आज अपने घर से दूर अज्ञात स्थान पर रहना पड़ रहा है
जिसमें पुलिस द्वारा उन्हें सहयोग और संरक्षण प्रदान किया गया है. हालात जितनी
जल्दी सामान्य होंगे, इस परिवार को अज्ञातवास छोड़कर अपने घर
लौटना संभव होगा. इसके लिए यथासंभव प्रयास किये जाने चाहिए. इसके लिए आवश्यक होगा
कि इस परिवार के पक्ष में गाँव में सकारात्मक जनमत को तैयार किया जाए. आशा है कि
पुलिस व प्रशासन इस सन्दर्भ में उचित कार्यवाही करेंगे. पुलिस विभाग के अलावा
प्रशासनिक स्तर का कोई अधिकारी गाँव नहीं गया व पीड़ित सेवक परिवार से नहीं मिला ये
अत्यंत दुर्भाग्य पूर्ण है. यह भी विडम्बनापूर्ण है कि ग्राम स्तर पर कार्यरत प्रशासनिक कर्मियों यथा
ग्राम सेवक, पटवारी, आंगनबाड़ी प्रबंधक
आदि द्वारा ग्राम में घटित इस क्रूर घटना का कोई संज्ञान नहीं लिया गया और न ही ऐसी
कोई जानकारी है कि जिले के उच्च अधिकारियों द्वारा उनसे कोई रिपोर्ट माँगी गयी.
·प्रकाश जहां कहीं
भी है, उसकी ज़िंदगी पर खतरा बरक़रार है. उसकी खोज खबर एवं कुशलता को सुनिश्चित करना
प्रशासन की जिम्मेदारी है.
·इस निर्मम हत्याकांड को 15 दिन बीत जाने के बाद भी राज्य महिला आयोग द्वारा
इसका संज्ञान भी न लिया जाना शर्म की बात है. यदि राज्य महिला आयोग ने इस पर सख्त
कदम उठाते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को स्पष्ट शब्दों में रखा
होता और घटना स्थल पर जाकर पीड़ित सेवक परिवार का साथ दिया होता तो अपराधियों के
हौसले पस्त होते और आम जनता में विश्वास का संचार होता.
·रमा के जल जाने से सामने आया कि उसकी मौत सामाजिक बहिष्कार की परिणति थी. बीते
8 साल से जिस दहशत में गाँव का परिवार जी रहा था उसकी जवाबदेही किसकी मानी जाएगी? इस तरह का सामाजिक बहिष्कार 8 साल तक गाँव में कैसे बना रहा और इस संबंध
में किसी भी सरकारी नुमाइंदे ने शिकायत क्यों दर्ज नहीं कराई? इस परिवार के संबंध में यह तथ्य क्यों छुपाया गया कि यह परिवार सामाजिक
बहिष्कार को झेल रहा था. इसी सामाजिक बहिष्कार के डर से आज इस अमानवीय घटना के बाद
भी लोगों के मुंह पर ताले पड़े हुए है. कहना न होगा कि
इस प्रकार के सामाजिक बहिष्कार का फरमान देने वाले चोखले की बैठक खाप का ही एक
प्रांतीय संस्करण है और इस पर तुरंत रूप से प्रतिबन्ध लगाता क़ानूनन आवश्यक है. पिछली केंद्र सरकार ने खाप
पंचायतों के ऐसे फैसलों के खिलाफ तथाकथित सम्मान एवं परम्परा के नाम पर होने वाले
अपराधों की रोकथाम संबंधी विधेयक का प्रस्ताव रखा था लेकिन वह ठन्डे बस्ते में चला
गया. वर्तमान केंद्र सरकार ने भी इस सम्बन्ध में विधि आयोग की रिपोर्ट पर राज्य
सरकारों से राय माँगी थी. लगभग सभी राज्य सरकारों की इसके समर्थन में राय आ भी
चुकी है, पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई. वर्तमान तथा
इससे पूर्व की दोनों केंद्र सरकारों ने अपने बयानों में इन खाप पंचायतों को न्याय
और संविधान के खिलाफ माना है. पर दंड संहिता में समुचित बदलाव न होना इनके इरादों
के ठोस होने में संदेह पैदा करता है. यदि यह विधेयक जल्दी आता है तो इन हत्याओं के
सामूहिक चरित्र की पहचान और दंड का प्रावधान संभव हो पायेगा.
·भावना और कलावती दोनों ने स्पष्ट बताया कि रमा ने उन्हें बताया था कि उसके
गाँव वापिस आने की खबर उसके पीहर में थी.
ऐसे में साफ़ है कि यह एक सोची समझी साजिश के तहत अंजाम दी घटना थी. इन
हालातों में पुलिस गाँव से साक्ष्य जुटाकर आरोपियों को सज़ा तक कैसे पहुंचाएगी यह
सवाल बारबार उठता है. यह निहायत ज़रूरी है कि आरोपियों को बेल ना मिले क्योंकि
वे साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकते है और
गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.
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पीयूसीएल के तथ्यान्वेषी दल के सदस्य इस
प्रकार थे धुली बाई (एकल नारी शक्ति संगठन), छगन बाई (एकल
नारी शक्ति संगठन), कमलेश शर्मा (पीयूसीएल) धर्मराज गुर्जर
(पीयूसीएल), हेमंत खराड़ी (राजस्थान शिक्षक संघ, शेखावत), फेंसी (विकल्प संस्थान, उदयपुर), मधुलिका (पीयूसीएल), कांतिलाल
रोत (पीयूसीएल तथा आदीवासी संघर्ष समिति), प्रज्ञा जोशी
(पीयूसीएल). जाँच दल ने कई जगह पर व्यक्तियों के नाम उन लोगों की सुरक्षा के
मद्देनज़र नहीं दिए हैं.
नोट/अपडेट : 22.03.16
को पीयूसीएल, जयपुर एवं नगर के प्रमुख महिला संगठनों के प्रतिनिधि राज्य की महिला
एवं बाल मंत्री सुश्री अनीता भदेल तथा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सुश्री सुमन शर्मा
से मिले, यह रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा अपनी मांगें रखीं. मंत्री महोदया ने इस घटना
के प्रति अपनी अनभिज्ञता जाहिर की परन्तु अब इस मामले में ध्यान देने का आश्वासन
दिया.
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सुश्री सुमन शर्मा ने आश्वासन दिया
कि वे सम्बन्षित विभागों को तलब कर इस विषय में की गयी कार्रवाई की रिपोर्ट लेंगी
तथा व्यक्तिशः 1 से 4 अप्रैल के अपने दक्षिण राजस्थान के दौरे के अंतर्गत विशेष
रूप से पचलासा छोटा जायेंगी.
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