tag:blogger.com,1999:blog-3857696409871553743.post7151280051995466842..comments2024-03-07T17:45:04.957+05:30Comments on दख़ल की दुनिया: मणिपुर एक तिरछी गड़ी वर्णमाला है राष्ट्र के कलेजे मेंआलोक श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/08498808385035641834noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3857696409871553743.post-87220285240695065022011-04-20T09:12:43.155+05:302011-04-20T09:12:43.155+05:30जैसे कोई नश्तर पार हो गया सीने से ऐसे गुजरी है ये ...जैसे कोई नश्तर पार हो गया सीने से ऐसे गुजरी है ये कविता...Pratibha Katiyarhttps://www.blogger.com/profile/08473885510258914197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3857696409871553743.post-60877428999702749412011-04-19T15:18:34.385+05:302011-04-19T15:18:34.385+05:30बधाई! मुझको तो झकझोर गई यह कविता. इस कविता को खूब ...बधाई! मुझको तो झकझोर गई यह कविता. इस कविता को खूब प्रचारित प्रसारित करने की आवश्यकता है,ताकि चार दिन के अन्ना के अनशन से पगलाए लोग जान सकें की कोई 'इरोम' है जो अन्ना से कई हज़ार गुना महान है.सईद अय्यूबhttp://gmail.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3857696409871553743.post-29762974281232222402011-04-19T14:58:45.670+05:302011-04-19T14:58:45.670+05:30बधाई.अत्यंत विचारोत्तेजक कविता है.मुक्तिबोध और धूम...बधाई.अत्यंत विचारोत्तेजक कविता है.मुक्तिबोध और धूमिल की कई कविताओं की याद ताजा हो आई.ध्यानाकर्षण के लिए आभार.वीरेन्द्र यादवnoreply@blogger.com