tag:blogger.com,1999:blog-3857696409871553743.post5735214034676211610..comments2024-03-07T17:45:04.957+05:30Comments on दख़ल की दुनिया: औरतें करती हैं मर्दों का शोषणआलोक श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/08498808385035641834noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3857696409871553743.post-43646825957811629092008-05-23T20:38:00.000+05:302008-05-23T20:38:00.000+05:30कुछ महीनों पहले किसी हिन्दी पत्रिका ने सभी खबरिया ...कुछ महीनों पहले किसी हिन्दी पत्रिका ने सभी खबरिया पत्रकारों की रचनायो का एक भारी भरकम खास अंक निकाला था ,सबका निचोड़ यही था जो आपने कहा है......बस फर्क इतना है की एक औरत होकर आपने लिखा है...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3857696409871553743.post-87501433430577937672008-05-23T17:21:00.000+05:302008-05-23T17:21:00.000+05:30"मेरा मानना है कि जिंदगी रोडवेज की बस नहीं है, जिस..."मेरा मानना है कि जिंदगी रोडवेज की बस नहीं है, जिसमें सवार होते ही औरत अपनी सीट का हक जमाने लगे. जिंदगी संसद में ३३ प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा भी नहीं है. जहां उसे अपने तयशुदा विशिष्ट जगह की तलाश हो. "<BR/>बहुत ही सही और सही से सहमति क्यों नही हो ? लेकिन सुन्दरता की तलाश खड़े लोगों को गाली देने की वजाय <BR/>सुंदर लड़कियों को कोसना अच्छा नही लगा .संजय शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06139162130626806160noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3857696409871553743.post-15559299245679543352008-05-23T17:19:00.000+05:302008-05-23T17:19:00.000+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.संजय शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06139162130626806160noreply@blogger.com